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"हाईकोर्ट का फैसला: जोशीमठ भूस्खलन पर रिपोर्ट को 'गुप्त' रखने की कोई वजह नहीं"

"Protest against keeping the report sealed, public wants to know the truth"

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जोशीमठ के भूस्खलन पर तैयार की गई रिपोर्ट को ‘गुप्त’ रखने की कोई वजह नहीं होने की आलोचना की।
जानकारी के अनुसार, अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब जोशीमठ के भूस्खलन का अध्ययन करने वाले केंद्र सरकार के आठ संस्थानों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में उसके सामने रखा गया। 
जोशीमठ में हुए भूस्खलन ने लोगों को डराया था, और उसके बाद से यह सवाल है कि सरकार क्यों रिपोर्ट को गुप्त रख रही है। 
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने कहा, ‘हमें कोई कारण नहीं दिखता कि राज्य को विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को गुप्त रखना चाहिए और जनता के सामने इसका खुलासा नहीं करना चाहिए।’
असल में उक्त रिपोर्टों के प्रसार से जनता को महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी और जनता को यह भरोसा होगा कि राज्य ऐसी स्थिति से निपटने के लिए गंभीर है।
हाईकोर्ट ने एक याचिका को सुनते हुए राज्य सरकार को जोशीमठ में धंसाव होने को लेकर किए जा रहे अध्ययन में कुछ विशेषज्ञों को शामिल करने का निर्देश दिया था। लेकिन इसने पाया कि आठ महीने बाद भी सरकार ने उसके आदेश का पालन नहीं किया है।
जोशीमठ शहर में कमज़ोर जमीन पर निर्माण होने के कारण जमीन धंसाव का इतिहास ।
जोशीमठ में जमीन धंसने से कई घरों में दरारें आ गईं थीं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, शहर के नौ वार्डों की 868 इमारतों में दरारें पाई गईं, जबकि 181 इमारतें असुरक्षित क्षेत्र में आ गई थीं। इसके चलते 300 से अधिक परिवार विस्थापित हुए थे।
दरारों की सूचना मिलने के तुरंत बाद आठ केंद्रीय सरकारी संस्थानों ने शहर की भूमि धंसने के कारणों का विश्लेषण करना शुरू किया था।
बताया गया है कि उसके पास आठ संस्थानों की रिपोर्ट हैं। इसमें कहा गया है कि आठ संस्थानों में से एक नोडल एजेंसी- सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट ने पाया है कि जोशीमठ में विश्लेषण किए गए 2,364 घरों में से 20% ‘अनुपयोगी’ थे, 42% को ‘आगे मूल्यांकन’ की जरूरत थी, 20% ‘इस्तेमाल योग्य’ थे और 1% को ‘ध्वस्त’ करने की जरूरत है।
पीठ मुख्य सचिव की व्यक्तिगत उपस्थिति को लेकर राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील स्निग्धा तिवारी ने बताया था कि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की गई थी।
हाईकोर्ट ने बुधवार (20 सितंबर) को राज्य के जोशीमठ में हुए भूस्खलन पर रिपोर्ट सार्वजनिक न करने के लिए प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार की आलोचना की। 

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