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आपको नहीं पता एंटीरियर प्लेसेंटा क्या होता है तो जानिए यहाँ है डिटेल्स

एंटीरियर प्लेसेंटा : एंटीरियर प्लेसेंटा क्या होता है ज्यादातर लोगों द्वारा पुछा जाने वाला यह शब्द एक बिचारणीय शब्द है आज हम क्या प्लेसेंटा की पोजीशन चेंज होती है या नहीं जैसे सवालों पर चर्चा करेंगे।

“एंटीरियर प्लेसेंटा” (Interior Placenta) शब्द को आमतौर पर गर्भावस्था और प्रसूति के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है। इसका मतलब होता है कि प्लेसेंटा (गर्भाशय की दीवार पर लगा हुआ अंग जो भ्रूण को पोषण और ऑक्सीजन प्रदान करता है) गर्भाशय की आंतरिक दीवार पर सामान्य स्थान से थोड़ा अंदर की ओर स्थित है।

यह स्थिति आमतौर पर खतरनाक नहीं होती और कई बार खुद-ब-खुद सामान्य स्थिति में आ जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में अगर प्लेसेंटा की स्थिति भ्रूण के विकास या प्रसव के दौरान समस्याएं उत्पन्न कर सकती है, तो डॉक्टर निगरानी रखते हैं और आवश्यक कदम उठाते हैं। यदि आप या कोई जानने वाला व्यक्ति इस विषय पर चिंतित है, तो डॉक्टर से सलाह लेना उचित रहेगा।

एंटीरियर प्लेसेंटा क्या होता है

गर्भावस्था के दौरान, प्लेसेंटा (गर्भाधान के बाद विकसित होने वाला अंग) भ्रूण के लिए आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन प्रदान करता है, और गर्भाशय की दीवार से जुड़ा रहता है। प्लेसेंटा की स्थिति और स्थान गर्भावस्था की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। “एंटीरियर प्लेसेंटा” एक विशेष स्थिति को संदर्भित करता है, जहां प्लेसेंटा गर्भाशय की आंतरिक दीवार पर सामान्य स्थिति से थोड़ी अंदर की ओर होता है।

एंटीरियर प्लेसेंटा की विशेषताएँ

एंटीरियर प्लेसेंटा का मतलब है कि प्लेसेंटा गर्भाशय की आंतरिक दीवार पर स्थित जो सामान्य स्थिति से थोड़ी अधिक आंतरिक हो सकती है। इसे “एंटीरियर” का मतलब आंतरिक से होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह गर्भाशय की आंतरिक दीवार से जुड़ा हुआ है। अधिकांश मामलों में, एंटीरियर प्लेसेंटा गर्भावस्था के दौरान सामान्य रूप से काम करता है। हालांकि, कभी-कभी यह स्थिति भ्रूण के विकास या प्रसव के दौरान समस्याएँ उत्पन्न कर सकती है। अगर प्लेसेंटा की स्थिति गर्भाशय के गर्भाशय ग्रीवा या नाल के पास अत्यधिक करीब होती है, तो यह प्रसव के दौरान जटिलताएँ पैदा कर सकता है।

डॉक्टर आमतौर पर एंटीरियर प्लेसेंटा की निगरानी करते हैं। अल्ट्रासाउंड के माध्यम से प्लेसेंटा की स्थिति और स्थिति की नियमित जाँच की जाती है। अगर कोई जटिलता उत्पन्न होती है, तो डॉक्टर संभावित जोखिमों को कम करने के लिए उचित उपाय कर सकते हैं, जैसे कि विशेष प्रकार के प्रसव के तरीके या समय पर सिजेरियन डिलीवरी।

संभावित समस्याएँ

  1. अगर प्लेसेंटा गर्भाशय की गर्भाशय ग्रीवा के पास बहुत करीब होता है, तो इसे प्लेसेंटा प्रिविया कहा जाता है,
  2. जो प्रसव के दौरान गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकता है।
  3. कभी-कभी, एंटीरियर प्लेसेंटा की स्थिति गर्भाशय में रक्तस्राव का कारण बन सकती है,
  4. जो कि गर्भावस्था के दौरान निगरानी और इलाज की आवश्यकता हो सकती है।

क्या प्लेसेंटा की पोजीशन चेंज होती है

हां, प्लेसेंटा की पोजीशन गर्भावस्था के दौरान बदल सकती है। गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में, प्लेसेंटा की स्थिति स्थिर नहीं होती और यह बदल सकती है। इस बदलाव का कारण गर्भाशय का आकार और उसके अंदर होने वाले परिवर्तनों के कारण होता है।

प्लेसेंटा की पोजीशन में बदलाव के कारण

  1. जैसे-जैसे गर्भाशय बढ़ता है, प्लेसेंटा भी इसके साथ ऊपर की ओर स्थानांतरित हो सकता है।
  2. शुरुआती गर्भावस्था में प्लेसेंटा का स्थान निचले हिस्से में हो सकता है,
  3. लेकिन गर्भाशय के बढ़ने के साथ, यह अधिक ऊपरी हिस्से की ओर बढ़ सकता है।
  4. हॉर्मोनल परिवर्तन: गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल बदलाव भी प्लेसेंटा की पोजीशन को प्रभावित कर सकते हैं।
  5. गर्भाशय की बनावट: गर्भाशय की आंतरिक बनावट और संरचना भी प्लेसेंटा की स्थिति को प्रभावित कर सकती है।

प्लेसेंटा की स्थिति के प्रकार

  1. नॉर्मल प्लेसेंटा: यह गर्भाशय की ऊपरी या साइड की दीवार पर सामान्य स्थिति में होता है।
  2. अगर प्लेसेंटा गर्भाशय के गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) के पास या ढकता हुआ होता है,
  3. इसे प्लेसेंटा प्रिविया कहा जाता है, जो प्रसव के दौरान जटिलताएँ उत्पन्न कर सकता है।
  4. यदि प्लेसेंटा गर्भाशय की आंतरिक दीवार पर आंतरिक स्थान पर स्थित हो, तो इसे एंटीरियर प्लेसेंटा कहा जा सकता है।

निगरानी और उपचार

गर्भावस्था के दौरान नियमित अल्ट्रासाउंड स्कैन के माध्यम से प्लेसेंटा की स्थिति की निगरानी की जाती है। आमतौर पर, प्लेसेंटा की स्थिति गर्भावस्था के तीसरे तिमाही तक स्थिर हो जाती है। अगर प्लेसेंटा की स्थिति में कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो डॉक्टर उपयुक्त इलाज और प्रबंधन के लिए सलाह देंगे। कुल मिलाकर, प्लेसेंटा की स्थिति में परिवर्तन सामान्य है और गर्भावस्था के दौरान प्राकृतिक प्रक्रियाओं का हिस्सा है। किसी भी चिंताजनक स्थिति में, उचित चिकित्सा सलाह और निगरानी की आवश्यकता होती है।

कृष्णा कुमार

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