नगर निगम ने डेढ माह पहले सड़क खोदी, लेकिन फिर बनाना भूल गया। देहरादून में स्मार्ट सिटी का दावा तो सरकार कर रही है, लेकिन, वहीं नगर निगम के अधिकारी सरकार की इस योजना को पलीता लगाते दिख रहें है
राजधानी में नगर निगम की लापरवाही ने एक बड़ी समस्या को उत्पन्न किया है, और यह समस्या किसी भी स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित होने की योजना बनाने वाले लोगों के लिए एक सख्त मुद्दा है।
व्यवस्थाओं का अदायगी और सावधानी बरतना आवश्यक होता है, लेकिन देहरादून में नगर निगम ने यह साबित कर दिया है कि वे इस जिम्मेदारी को लेने में असमर्थ हैं।
बरसात के पहले ही नगर निगम ने सड़कों की खुदाई शुरू की और लोगों को आश्वासन दिया कि वे कुछ ही दिनों में नई सड़क का आनंद ले सकेंगे।
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लेकिन अब से करीब डेढ माह बीत गया, और सड़क का निर्माण अब भी खासा अधूरा है।
इसके परिणामस्वरूप, आम लोग और विशेष रूप से स्कूली बच्चों को हर दिन परेशानी का का सामना करना पढ़ रहा हैं।
इस समस्या से राजधानी दून के विकास के माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के बच्चों को प्रभावित कर रही है, जो केदारपूरम में स्थित हैं।
स्कूलों के सैकड़ों बच्चे रोजाना आवागमन करना किसी मुसीबत को गले लगाने से कम कुछ नहीं रह गया है।
इस विचार में सोचते समय, हमें सोचने के लिए कठिनाइयों के साथ-साथ समाधानों की भी खोज करनी चाहिए।
नगर निगम को सड़कों के निर्माण के लिए अधिक प्रयास करना चाहिए और उन्हें निगरानी रखनी चाहिए कि यह कार्य समय पर पूरा हो रहा हैं या नहीं।
साथ ही, स्कूलों के बच्चों के लिए भी विशेष व्यवस्थाएं करनी चाहिए, ताकि उन्हें सुरक्षित और अनुकूल सड़कों का उपयोग करने में कोई परेशानी न हो।
इसके अलावा, सरकार को भी समाना चाहिए कि वे अपने विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्मार्ट सिटी के नाम पर खासे डिटर्मिनेशन दिखाएं, और नागरिकों के जीवन को सुधारने के लिए निगरानी रखें।
यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा जो नगर निगम और सरकार के बीच साथ में लिया जाना चाहिए, ताकि हम एक सुरक्षित, स्वास्थ्य, और विकसित देहरादून की ओर अग्रसर कर सकें।