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"उत्तराखंड में बढ़ रहा है डेंगू का खतरा"

"Dengue cases are also increasing in hilly areas, truth exposed in health administration's claims"

प्रदेश में नेताओं और अधिकारियों के तमाम दावों के बीच डेंगू कम होने का नाम नहीं ले रहा है।

शासन, प्रशासन और स्वास्थ विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद फिलहाल एडीज मच्छर की सक्रियता कम नहीं हो रही है।

आलम यह है कि डेंगू का ग्राफ रोजाना बढ़ रहा है। हाल ये है कि मैदान से लेकर पहाड़ तक डेंगू के केस लगातार सामने आ रहे हैं।

बताते चलें कि प्रारंभ में देहरादून समेत राज्य के मैदानी जिलों में मच्छर कहर बरपा रहे थे लेकिन अब पहाड़ में भी डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं।

इधर स्वास्थ्य विभाग, नगर निकाय व जिला प्रशासन के अधिकारी डेंगू नियंत्रण के लिए हर स्तर पर प्रभावी कदम उठाए जाने के तमाम दावे कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि विभागीय टीमें घर-घर पहुंचकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ और बंया करती दिखाई दे रही है।

डेंगू की रोकथाम के तमाम दावों पर एडीज मच्छर भारी पड़ रहा है।

सरकारी अस्पतालों समेत निजी अस्पतालों में भी डेंगू से पीड़ित मरीजों के आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

वहीं ये भी देखा जा रहा है कि तमाम लोग ऐसे भी हैं जो वायरल बुखार को भी डेंगू समझ कर घबराए हुए हैं और खुद ही बकरी का दूध, कीवी और पपीते के पत्ते खाने में लगे हुए हैं। जिससे बकरी के दूध और कीवी के दाम आसमान छू रहे हैं।

स्वास्थ्य प्रशासन ने जागरूकता और नियंत्रण के लिए विभिन्न उपायों का सुझाव दिया है। लोगों से सजग रहने की सलाह दी जा रही है और उन्हें मच्छरों से बचाव के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी जा रही है।

उत्तराखंड में डेंगू के मामलों के इस तेज बढ़ते ग्राफ के बावजूद, लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।]

वे सावधानी बरतें और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें। सरकारी और स्वास्थ्य प्रशासन के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान खोजने में हम सबको योगदान करना होगा।

 

 

 

 

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