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बड़ी ख़बर,, अमेठी की जगह क्यों चुनी रायबरेली की सीट? राहुल गांधी ने दोहराया 20 साल पुराना इतिहास,,जानिए एक क्लिक में...

Why did Rahul Gandhi choose Rae Bareli seat? Know the reason behind this decision.

उत्तर प्रदेश : 20 साल बाद सोनिया गांधी ने जब रायबरेली को छोड़ा तो राहुल गांधी एक बार फिर इतिहास को दोहराते हुए रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेठी की जगह रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

शुक्रवार 3 मई को उन्होंने रायबरेली से नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी उन पर हार से डरने के आरोप लगाकर घेर रही है।

जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के लिए रायबरेली सीट, अमेठी से ज्यादा सुरक्षित है, इसलिए राहुल गांधी ने ये फ़ैसला लिया है।

साल 2004 में सोनिया गांधी ने अमेठी सीट राहुल गांधी के लिए छोड़कर रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा था और अब 20 साल बाद सोनिया गांधी ने जब रायबरेली को छोड़ा तो राहुल गांधी एक बार फिर इतिहास को दोहराते हुए रायबरेली से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर कांग्रेस पार्टी की कैडर आज भी मजबूत माना जाता है।

राहुल गांधी ने रायबरेली सीट क्यों चुनी?

इस सीट से गांधी परिवार को बहुत गहरा नाता रहा है. यहां से राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी, दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी ने प्रतिनिधित्व किया है।

ये सीट कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. 2014 और 2019 में मोदी लहर में भी भाजपा कांग्रेस के इस किले को भेद नहीं पाई है।

रायबरेली सीट यूपी में कांग्रेस की आख़िरी उम्मीद बची है. इस सीट पर राहुल गांधी के आने से आसपास की सीटों पर भी असर देखने को मिलेगा।

राहुल गांधी ने अपना नामांकन भरने के बाद अमेठी और रायबरेली दोनों को अपना घर बताया और इसे एक भावुक पल बताया।

राहुल गांधी 2004 से 2019 तक अमेठी से सांसद रहे लेकिन 2019 में स्मृति ईरानी ने उन्हें चुनाव में हरा दिया।

माना जा रहा था कि राहुल गांधी एक बार फिर अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन राहुल ने रायबरेली से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया।

कांग्रेस ने राहुल गांधी को रायबरेली से चुनाव में उतार उनके लिए सुरक्षित सीट चुनी है. वहीं अमेठी में किशोरीलाल शर्मा को टिकट दिया है।

इसके जरिए कांग्रेस ये संदेश देने चाहती है कि स्मृति को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के किसी बड़े नेता की जरुरत नहीं है।

कांग्रेस ये सीट जीतती है तो इसका संदेश भी बड़ा जाएगा. वहीं अगर स्मृति फिर से जीत जाती है तो वो ये दावा नहीं कर पाएंगी कि वो राहुल गांधी को हराकर संसद में पहुंची हैं।

इधर अमेठी में राहुल गांधी को चुनाव हराने के बाद स्मृति ईरानी लगातार एक्टिव दिखाई दीं. वो कई बार अमेठी आती-जाती रहीं।

यही नहीं उन्होंने अमेठी में अपना घर भी बना लिया है और अब वो यहां की मतदाता भी बन गईं हैं।

इसके ज़रिए स्मृति खुद के अमेठी से जुड़ा होने का संदेश दे पाईं, जबकि राहुल गांधी ने ऐसा कभी नहीं किया।

इसका असर ये हुआ कि बड़ी संख्या में लोग स्मृति से जुड़ते दिख रहे हैं. अगर राहुल अमेठी में दोबारा आते तो यहां बीजेपी और कांग्रेस में ज़बरदस्त टक्कर देखने को मिल सकती थी।

 

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