उत्तराखंड में कहाँ उड़ रहे हैं ‘लाफिंग डव’ ? : उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ में गर्मी के मौसम में कई दुर्लभ घुम्मड़क पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं. इनमें ‘हंसता हुआ कबूतर’ या ‘लाफिंग डव’ अपनी अनोखी आवाज और रंगों की वजह से बर्डवाचिंग के शौकीनों का खास ध्यान खींच रहा है.ज्योतिर्मठ में दक्षिण भारत, पूर्वी और पश्चिमी घाट, नीलगिरी की पहाड़ियों, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश समेत कई अन्य क्षेत्रों से समर विजिटर पक्षी बड़ी तादाद में आ रहे हैं. फ्लाई कैचर परिवार के इंडियन पैराडाइज फ्लाई कैचर, दूध राज, आसमानी नील मछरिया, एशियन कोयल, सलेटी भुजंगा, देशी कस्तूरा, चितकबरा थ्रश, पीलक पक्षी, लेसर कुकू, एमरल्ड डव, फायर टिट, ब्लू कैप्ड रॉक थ्रश और ओरियंटल ब्लू मैगपाई रोबिन जैसे पक्षी यहां देखे जा रहे हैं.
लाफिंग डव बना बर्डवाचिंग का नया आकर्षण
एक्सपर्ट के अनुसार, ‘हंसता हुआ कबूतर’ बहुत ही शर्मीले स्वभाव का पक्षी है. नरसिंह मंदिर बाईपास रोड के आसपास के पेड़ों में इसे देखा गया है. इसके साथ ही, हरा कबूतर (वेज टेल्ड ग्रीन पिजन), कालहक फाख्ता, चितरोखा फाख्ता, रॉक पिजन और तमिलनाडु का राज्य पक्षी एशियन एमरल्ड डव भी यहां के पक्षी प्रेमियों को आकर्षित कर रहे हैं.इस पक्षी की पहचान की पुष्टि बर्डवाचिंग विशेषज्ञ ने की है. स्थानीय किसान ने भी नरसिंह मंदिर के आसपास इसे देखा है, जिससे नगर क्षेत्र के पक्षी प्रेमी काफी उत्साहित हैं.
फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क के आसपास पक्षी विविधता
फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क की रेंज ऑफिसर चेतना काण्डपाल ने बताया कि वन विश्राम गृह के आसपास कोकिला और हरियल कबूतर जैसे पक्षी भी अच्छी संख्या में दिखाई दे रहे हैं. ज्योतिर्मठ में समर विजिटर पक्षियों की बढ़ती संख्या स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पॉजिटिव संकेत है. यह मध्यम आकार का गुलाबी-भूरा कबूतर होता है, जिसके शरीर पर भूरे धब्बे और गर्दन के पास काले-सफेद चेकर पैच होते हैं. यह पक्षी अनाज, बीज और छोटे फलों को खाना पसंद करता है. खेत, खलिहान, बगीचे और जंगल जैसे खुले या अर्ध-खुले स्थानों में यह अक्सर जोड़ों या छोटे समूहों में देखा जाता है.