
सीएम धामी ने सोमवार शाम अपने कैंप कार्यालय में उत्तराखंड@25 बोधिसत्व सीरीज में राज्य के विभिन्न केंद्रीय संस्थानों और तकनीकी उद्यमों के प्रमुखों से बातचीत करते हुए कहा कि जोशीमठ में आ रही समस्या के समाधान के लिए एक ही छत के नीचे काम करना होगा।
प्रदेश के शहरों के सर्वे पर फोकस करना होगा और उनकी वहन क्षमता भी सुनिश्चित करनी होगी।
उन्होंने कहा कि राज्य के विकास मॉडल में पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था को संतुलित करना होगा।
सीएम ने कहा, “यह बातचीत हिमालय की पारिस्थितिक विविधता को देखते हुए विभिन्न विषयों पर विभिन्न प्रयोगों के लिए एक आदर्श मंच है।
हम पारिस्थितिक दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र में हैं जिसके कारण हमें विभिन्न प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी आपदाओं की पुनरावृत्ति चिंता का विषय है।
जोशीमठ में आई धंसाव से हम सभी वाकिफ हैं और इसके लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक समाधान आमंत्रित हैं।
राज्य के सतत विकास के लिए समाज के सभी वर्गों के प्रमुख व्यक्तियों से प्राप्त सुझावों के आधार पर रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
नेशनल साइंस कांग्रेस, प्राइड ऑफ इंडिया एक्सपो में उत्तराखंड पवेलियन को प्रथम पुरस्कार मिलने की बात याद करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की ।
वैज्ञानिक सोच के आधार पर प्रदेश के विकास की रूपरेखा तैयार करना उत्तराखंड@25 पहल का मकसद है।
उन्होंने चरणबद्ध तरीके से राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए एक सशक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति की आवश्यकता पर बल दिया।
धामी ने आगे कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व को समझते हुए, राज्य सरकार ने प्रधान मंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के साथ-साथ राज्य के प्रमुख वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित किया है।
उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट) को नोडल एजेंसी बनाते हुए राज्य सरकार चंपावत को मॉडल जिले के रूप में विकसित करने पर काम कर रही है।
जोशीमठ जैसी गंभीर समस्याओं का समाधान भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही संभव है।
इसलिए सभी प्रमुख केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों और राज्य सरकार को समन्वय से एक कार्य योजना तैयार करनी होगी।