बदल गए सरकारी वकील बनने के नियम : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 18 में जिले के सरकारी वकीलों की नियुक्ति से जुड़े खास नियम बताए गए हैं. धारा 18 के उप-धारा (4) में बताया गया है कि जिले के सरकारी वकीलों की लिस्ट बनाने की जिम्मेदारी जिले के मजिस्ट्रेट की होगी. लेकिन वो अकेले ये लिस्ट नहीं बनाएगा. उसे जिले के सेशन जज से सलाह लेनी होती है.मजिस्ट्रेट और सेशन जज मिलकर उन लोगों के नाम लिस्ट में शामिल करेंगे जो उनकी राय में जिले के सरकारी वकील या अतिरिक्त सरकारी वकील बनने के लायक हैं. यानी, लिस्ट में सिर्फ योग्य और अनुभवी वकीलों के नाम होने चाहिए.धारा 18 की उप-धारा (5) में साफ लिखा है कि राज्य सरकार किसी भी ऐसे व्यक्ति को जिले का सरकारी वकील या अतिरिक्त सरकारी वकील नहीं बना सकती है जिसका नाम मजिस्ट्रेट द्वारा बनाई गई लिस्ट में नहीं है।
सरकारी वकील: अगर राज्य में है अलग कैडर, तो नियुक्ति कैसे होगी?
बीएनएसएस की धारा 18 के अनुसार, अगर किसी राज्य में सरकारी वकीलों का एक अलग कैडर (ग्रुप) बना हुआ है, तो राज्य सरकार जिले के सरकारी वकील या एक्स्ट्रा सरकारी वकील सिर्फ उसी कैडर के लोगों में से चुनेगी. लेकिन अगर राज्य सरकार को लगता है कि कैडर में से कोई भी व्यक्ति सरकारी वकील बनने के लायक नहीं है, तो वो मजिस्ट्रेट द्वारा बनाई गई लिस्ट में से किसी को भी सरकारी वकील बना सकती है।
धारा 18 में ‘रेगुलर कैडर ऑफ प्रॉसिक्यूटिंग ऑफिसर्स’ का मतलब है सरकारी वकीलों का एक ऐसा ग्रुप (समूह), जिसमें सरकारी वकील का पद भी शामिल हो, चाहे उस पद को किसी भी नाम से बुलाया जाए. साथ ही, इस ग्रुप में सहायक सरकारी वकीलों (चाहे उन्हें किसी भी नाम से बुलाया जाए) को प्रमोशन देकर सरकारी वकील बनाया जा सके. और जो भी सरकारी वकील से जुड़ा काम करता है, उसे ‘अभियोजन अधिकारी’ कहा जाता है।
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सरकारी वकील बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
संसद में सरकार ने बताया कि सरकारी वकील या एक्स्ट्रा सरकारी वकील बनने के लिए जरूरी है कि उस व्यक्ति ने कम से कम सात साल तक वकील के तौर पर काम किया हो. यानी, कम से कम सात साल का वकालत का अनुभव अनिवार्य है. केंद्र सरकार या राज्य सरकार किसी खास केस के लिए किसी ऐसे व्यक्ति को स्पेशल सरकारी वकील बना सकती है जिसने कम से कम दस साल तक वकालत की हो. मतलब, स्पेशल सरकारी वकील बनने के लिए दस साल का वकालत का अनुभव चाहिए।
वकालत का अनुभव कैसे गिना जाएगा?
सेक्शन 18 के उप-धारा (7) और (8) में वकालत के अनुभव की बात की गई है. इसके लिए किसी व्यक्ति ने जितने समय तक वकील के तौर पर काम किया है या जितने समय तक सरकारी वकील, अतिरिक्त सरकारी वकील, सहायक सरकारी वकील या किसी और अभियोजन अधिकारी के रूप में काम किया है, उसे भी वकालत के अनुभव में गिना जाएगा. मतलब, सिर्फ प्राइवेट वकालत ही नहीं, सरकारी वकील के रूप में किया गया काम भी अनुभव में गिना जाएगा.
स्पेशल सरकारी वकील कैसे चुने जाते हैं?
जब भी किसी सरकारी मंत्रालय या विभाग का कोई मामला कोर्ट में जाता है, तो उनकी तरफ से पेश होने के लिए स्पेशल सरकारी वकील (SPPs) रखे जाते हैं. ये वकील खास तौर से उसी मंत्रालय या विभाग के मामलों को कोर्ट में संभालते हैं.इन वकीलों को चुनने का तरीका भी बीएनएसएस की धारा 18 में बताया गया है. लेकिन, सिर्फ कानून ही नहीं, हर मंत्रालय और विभाग के अपने कुछ नियम और निर्देश भी होते हैं. जैसे कि उनके ऑफिस के मेमोरेंडम या सर्कुलर. इन नियमों के हिसाब से ही इन वकीलों की नियुक्ति होती है. पहले, जब BNSS 2023 नहीं आया था, तब दंड प्रक्रिया संहिता 1973 लागू था. तब भी लगभग ऐसे ही नियम थे.