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प्रदेश में ग्रामीणों के हाल बेहाल

In this era of 5G, hundreds of villages in Uttarakhand are deprived of roads and health facilities.

उत्तराखंड :  5जी के इस युग में उत्तराखंड के सैंकड़ों ऐसे गांव है, जो सड़क, स्वास्थ्य की सुविधा से महरूम है।

सरकार और सरकार से जुड़े जनप्रतिनिधि विकास के भले ही लाख दावे करते हों, लेकिन धरातल की तस्वीरें कुछ और बयां करती हैं।

भले ही सरकार और उनके नुमाएंदे विकास के नगमे गाएं, लेकिन हकीकत क्या है? ये उन तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।

जिसमें आज भी ग्रामीण एयर एंबुलेंस के जमाने में मरीज को डंडी कंडी पर लादकर मीलों दूरी नाप रहे हैं।

ऐसी ही तस्वीरें नैनीताल जिले के ओखलकांडा गांव से सामने आई है। जहां एक घायल महिला को डोली के सहारे 5 किलोमीटर कंधों पर रखकर ग्रामीण नजदीकी मोटर मार्ग तक लाए, जिसके बाद 18 किलोमीटर दूर अस्पताल ले गए।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि वो पिछले कई सालों से गांव तक सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को कोई सुनने वाला नहीं है।

ग्रामीणों को प्रशासन से झूठे आश्वासन मिले, लेकिन धरातल में हाल जस के तस हैं।

क्या सरकार लेगी कोई एक्शन? 

ऐसा ही मामला टिहरी गढ़वाल के डागर पट्टी के गवाणा गाँव में भी हैं जहां ना तो अभी तक कोई रोड की सुविधा हैं और नहीं स्वास्थ्य की सुविधा से महरूम है।

सरकार का कहना हैं कि हर घर विकास हो रहा क्या यही विकास हैं? जिसमें ना तो मुख्यमंत्री जी कोई एक्शन ले रहे हैं  और ना देवप्रयाग विधानसभा के विधायक जी आखिर अब देखना यह हैं कि सरकार ईसपे एक्शन लेती हैं या नहीं? या फिर ग्रामीणों को ऐसी परेशानियों का सामना करना पढ़ेगा?

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