उत्तराखण्ड

जानें थारपारकर गाय की नस्ल और कीमत तथा देसी गाय व साहिवाल गाय में अंतर

आज की खबर उन किसानों के लिए है जो थारपारकर गाय की नस्ल को पालते हैं या थारपारकर गाय की कीमत जानना चाहते हैं कुछ  देसी गाय को पालते हैं तो कुछ साहिवाल गाय को, अब आपको यह कन्फ्यूजन रहता है की आपके लिए कौन सी गाय सबसे अच्छी रहेगी। आपको बता दूँ , यदि आप केवल फायदे की लिए गाय को पाल रहे हैं तो आपके लिए नीचे कुछ नश्ल हैं जिनको आप पाल सकते हैं।  यदि आपको गौ माता की सेवा करनी है, तो आपके लिए कोई भी गाय ले लो वो सबसे बेस्ट है। बस आपके अंदर श्रदा होनी चाहिए । तो चलिए जानते हैं बेस्ट गाय के बारे में. ….

थारपारकर गाय की नस्ल

थारपारकर गाय की नस्ल भारत और पाकिस्तान के राजस्थान और सिंध क्षेत्रों से उत्पन्न होती है। इस नस्ल का नाम थार रेगिस्तान और पाकिस्तानी क्षेत्र पारकर से लिया गया है। थारपारकर गाय को उसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता और कठिन जलवायु परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता के लिए जाना जाता है।

दिखावट: थारपारकर गाय का शरीर मध्यम आकार का और सफेद रंग का होता है, जिस पर हल्के भूरे धब्बे होते हैं। इसके सींग मध्यम आकार के और पीछे की ओर मुड़े हुए होते हैं। इसकी आँखें बड़ी और कान लटकते हुए होते हैं।

दुग्ध उत्पादन: थारपारकर गाय मध्यम स्तर का दूध देती है, जो औसतन 8-10 लीटर प्रति दिन हो सकता है। इसके दूध में वसा की मात्रा भी अच्छी होती है, जो लगभग 4.5-5% तक हो सकती है।

अनुकूलता: यह नस्ल गर्मी और सूखे जैसी कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहने में सक्षम है।
इसे सामान्यत: कम चारे और पानी की उपलब्धता में भी पाला जा सकता है, जिससे यह राजस्थान और सिंध जैसी जगहों के लिए उपयुक्त होती है।

उपयोगिता: थारपारकर गाय का उपयोग मुख्य रूप से दुग्ध उत्पादन के लिए किया जाता है, लेकिन इसे हल जोतने के काम में भी लिया जा सकता है। यह नस्ल विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लोकप्रिय है जहां पानी और हरा चारा कम मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा, थारपारकर गाय की स्वास्थ्य और उत्पादकता भी अच्छी होती है, जिससे यह किसानों के लिए एक आदर्श नस्ल बनती है।

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थारपारकर गाय की कीमत

थारपारकर गाय की कीमत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि गाय की उम्र, स्वास्थ्य, दुग्ध उत्पादन क्षमता, और क्षेत्रीय बाजार की स्थिति। सामान्यतः, एक अच्छी दुग्ध उत्पादन करने वाली थारपारकर गाय की कीमत भारत में ₹50,000 से ₹1,50,000 तक हो सकती है। हालांकि, उच्च उत्पादकता और विशेष गुणों वाली गायों की कीमत इससे अधिक भी हो सकती है। स्थानीय बाजार, पशु मेला, और व्यक्तिगत विक्रेता भी कीमतों में भिन्नता ला सकते हैं। यदि आप खरीदने की सोच रहे हैं, तो स्थानीय पशु बाजार या किसी विश्वसनीय विक्रेता से संपर्क करना बेहतर होगा ताकि आप सही कीमत और गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त कर सकें।

देसी गाय

देसी गायें भारत में पाई जाने वाली पारंपरिक या स्थानीय गायों की नस्लें हैं। इन गायों को उनकी प्राकृतिक जलवायु और परिस्थितियों के अनुरूप विकसित किया गया है। देसी गायों की कई नस्लें हैं, और ये भारतीय कृषि और दुग्ध उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

देसी गाय
देसी गाय

देसी गायों की प्रमुख नस्लें

  1. साहीवाल:

    • उत्पत्ति: पंजाब, हरियाणा, और पाकिस्तान के साहीवाल क्षेत्र में।
    • विशेषता: उच्च दुग्ध उत्पादन (10-15 लीटर प्रति दिन), गर्मी और रोग प्रतिरोधी, गहरे भूरे या लाल रंग की होती हैं।
  2. गिर:

    • उत्पत्ति: गुजरात के गिर वन क्षेत्र में।
    • विशेषता: अच्छे दुग्ध उत्पादन (12-15 लीटर प्रति दिन), हल्के भूरे या सफेद रंग की होती हैं, और यह नस्ल भारत में सबसे अच्छी मानी जाती है।
  3. राठी:

    • उत्पत्ति: राजस्थान के बीकानेर और जसरपुर जिलों में।
    • विशेषता: मध्यम दुग्ध उत्पादन (6-10 लीटर प्रति दिन), भूरे रंग की और सफेद धब्बों वाली होती हैं।
  4. हरियाणवी:

    • उत्पत्ति: हरियाणा राज्य में।
    • विशेषता: अच्छी दुग्ध उत्पादन क्षमता (8-10 लीटर प्रति दिन), सामान्यत: सफेद या हल्के भूरे रंग की होती हैं।
  5. थारपारकर:

    • उत्पत्ति: राजस्थान और पाकिस्तान के थार क्षेत्र से।
    • विशेषता: गर्मी और सूखे में जीने की क्षमता, मध्यम दुग्ध उत्पादन (8-10 लीटर प्रति दिन)।
  6. कांकरेज:

    • उत्पत्ति: गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में।
    • विशेषता: हल जोतने के लिए उपयुक्त, अच्छी दुग्ध उत्पादन क्षमता (8-10 लीटर प्रति दिन)।

देसी गायों की विशेषताएं:

  • दुग्ध गुणवत्ता: देसी गायों का दूध ए2 प्रकार का होता है, जिसे स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभकारी माना जाता है। इसमें वसा और अन्य पोषक तत्व अधिक होते हैं।
  • रोग प्रतिरोधकता: ये गायें स्थानीय जलवायु के अनुरूप विकसित होती हैं, इसलिए इनमें विभिन्न बीमारियों के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोध होता है।
  • अनुकूलता: देसी गायें विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में जीवित रह सकती हैं, चाहे वह गर्मी, सूखा, या ठंड हो।
  • गोबर और मूत्र: देसी गायों का गोबर और मूत्र जैविक खेती के लिए उत्तम खाद और कीटनाशक के रूप में उपयोग किया जाता है।

देसी गायों का पालन भारतीय कृषि में परंपरागत रूप से महत्वपूर्ण रहा है, और आज भी ये नस्लें किसानों के लिए बहुत उपयोगी हैं। इनके संरक्षण और प्रजनन पर भी सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा ध्यान दिया जा रहा है।

साहिवाल गाय

साहीवाल गाय भारत और पाकिस्तान की एक प्रसिद्ध और उच्च दुग्ध उत्पादक देसी नस्ल है। यह गाय पंजाब क्षेत्र के साहीवाल जिले से उत्पन्न हुई है, और इसे अपनी बेहतरीन दुग्ध उत्पादन क्षमता और सहनशक्ति के लिए जाना जाता है।

साहीवाल गाय
साहीवाल गाय

साहीवाल गाय की विशेषताएं:

  1. दिखावट:
    • साहीवाल गाय का शरीर गहरे लाल या भूरे रंग का होता है, हालांकि कुछ गायों का रंग हल्का लाल या हल्का भूरा भी हो सकता है।
    • इसका शरीर सुडौल और मांसल होता है, और पीठ सीधी होती है।
    • इसके सींग छोटे और पीछे की ओर मुड़े होते हैं।
  2. दुग्ध उत्पादन:
    • साहीवाल गाय अपनी उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। एक स्वस्थ साहीवाल गाय औसतन 10 से 15 लीटर दूध प्रतिदिन दे सकती है, जबकि कुछ विशेष गायें इससे अधिक भी उत्पादन कर सकती हैं।
    • इसके दूध में वसा की मात्रा लगभग 4.5% से 5% होती है, जो इसे पौष्टिक बनाती है।
  3. स्वभाव:
    • साहीवाल गाय का स्वभाव बहुत ही शांत और मिलनसार होता है, जिससे इसे पालना आसान होता है।
    • ये गायें मेहनती और सहनशील होती हैं, जो कठिन जलवायु परिस्थितियों में भी जीवित रह सकती हैं।
  4. स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधकता:
    • साहीवाल गाय में विभिन्न रोगों के प्रति उच्च प्रतिरोधकता होती है, खासकर वे रोग जो आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
    • ये गायें गर्मी और आर्द्रता जैसी कठिन परिस्थितियों को सहन करने में सक्षम होती हैं।
  5. प्रजनन:
    • साहीवाल गाय की प्रजनन दर अच्छी होती है, और ये सामान्यतः हर वर्ष एक बछड़ा जन्म देती हैं।
    • ये गायें लंबे समय तक दूध देती रहती हैं, जिससे ये किसानों के लिए लाभदायक होती हैं।
उपयोगिता:
  • साहीवाल गाय का उपयोग मुख्य रूप से दुग्ध उत्पादन के लिए किया जाता है, लेकिन इसकी शारीरिक शक्ति के कारण इसे हल जोतने और अन्य कृषि कार्यों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इसके दूध में मौजूद ए2 प्रकार की प्रोटीन इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बनाती है, इसलिए इसकी मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही है।

साहीवाल गाय भारतीय और अन्य उष्णकटिबंधीय देशों के किसानों के लिए एक आदर्श नस्ल मानी जाती है, जो अपनी उत्पादकता और कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता के कारण लोकप्रिय है।

कृष्णा कुमार

I am 23 years old, I have passed my master's degree and I do people, I like to join more people in my family and my grandmother, I am trying to learn new every day in Pau. And I also learn that I love to reach my knowledge to people

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