पीएम मोदी आज नई दिल्ली में यशोभूमि में G20 देशों के संसदीय पीठासीन अधिकारियों की बैठक- पी 20 को संबोधित करेंगे।
पिछले महीने G20 शिखर सम्मेलन के दौरान G20 देशों के प्रमुखों की मेजबानी करने के बाद आज दिल्ली पी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रही है।
पी-20 सम्मेलन से पहले हुई संसदीय फोरम की बैठक बताना चाहेंगे पी-20 सम्मेलन से पहले कल (गुरुवार) यशोभूमि में पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली पर संसदीय फोरम की बैठक हुई।
बैठक में जलवायु परिवर्तन पर लोकसभा अध्यक्ष ने रखे अपने विचार इस बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और इसका प्रभाव मानव जाति के साझा भविष्य से जुड़ा है।
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इस शिखर सम्मेलन का विषय ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए संसद’ है, जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के प्राचीन भारतीय दर्शन से प्रेरणा लेता है।
दो दिवसीय वैश्विक आयोजन दो दिन के इस वैश्विक आयोजन में सदस्य देशों की संसदों के 25 अध्यक्ष, 10 उपाध्यक्ष और 50 सदस्य भाग लेंगे।
अफ्रीकी संसद के प्रतिनिधि भी पहली बार भारत में जी-20 आयोजन में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की पहल पर पर्यावरण से जुड़े मुद्दे सर्वसम्मति से सम्मेलन में मुख्य विचार-विमर्श के लिए रखे गए हैं।
मिशन लाइफ जीवनशैली पर्यावरण संरक्षण के लिए समय की आवश्यकता उन्होंने ने कहा कि मिशन जीवनशैली पर्यावरण संरक्षण के लिए समय की आवश्यकता है। इस मिशन लाइफ ने विश्व को समकालीन चुनौतियों से निपटने की दिशा दिखाई है।
मिशन लाइफ को एक व्यापक वैश्विक अभियान बनाए जाने की जरूरत इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव के लिए मिशन लाइफ को एक व्यापक वैश्विक अभियान बनाए जाने की जरूरत है।
उन्होंने संसदीय प्रतिनिधियों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाने का आग्रह किया।
इसके तहत G20 देशों के संसदीय अध्यक्षों व पीठासीन अधिकारियों की बैठक होगी। इस आयोजन में अब तक कई देशों के पीठासीन अधिकारी अपनी भागीदारी निभाने के लिए भारत पहुंच चुके हैं।
ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात और बांग्लादेश के संसदीय अधिकारियों ने पी-20 बैठक से अलग लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की।
उन्होंने G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत की प्राथमिकताओं और पहल को समर्थन देने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। लोकसभा अध्यक्ष ने आयोजन से अलग कई द्विपक्षीय बैठकें की।
व्यक्तिगत दायित्वों पर दिया जोर व्यक्तिगत दायित्वों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि केवल नीतियां और कानून जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, प्रत्येक व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में बदलाव लाकर इस दिशा में सामूहिक योगदान करना होगा।