दिल्ली

13 से 15 मई तक उदयपुर में ‘नव संकल्प चिंतन शिविर’ – कांग्रेस के चिंतन शिविर में पेश होंगे 6 प्रस्ताव

नई दिल्ली (एजेंसी)। कांग्रेस का राष्ट्रीय चिंतन शिविर झीलों की नगरी उदयपुर में होगा। कांग्रेस आलाकमान ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। चिंतन शिविर 13 से 15 मई तक आयोजित किया जाएगा। शिविर में कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत राज्य इकाइयों के प्रमुख और वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं कार्यकर्ता भाग लेंगे। सीएम अशोक गहलोत तैयारियों का जायजा लेने के लिए फिर से उदयपुर का दौरा कर सकते हैं। कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन को हासिल करने के लिए मेवाड़ की धरती पर मनन चिंतन करेगी। राष्ट्रीय चिंतन शिविर के लिए 13 से 15 मई तक की तारीखों का आधिकारिक ऐलान कर दिया है। पार्टी ने इस आयोजन को नव संकल्प चिंतन शिविर का नाम दिया है।

कांग्रेस के चिंतन शिविर में पेश होने वाले 6 प्रस्ताव

मेवाड़ की धरती पर कांग्रेस के चिंतन शिविर में 6 प्रस्ताव पारित किए जाएंगे।

खेती -किसानी प्रस्ताव -(बीएस हुड्डा), राजनीतिक प्रस्ताव-(मल्लिकार्जुन खडग़े ), आर्थिक प्रस्ताव-(पी.चिदंबरम ), सोशल एंपावरमेंट प्रस्ताव-( सलमान खुर्शीद ), संगठनात्मक प्रस्ताव-(मुकुल वासनिक) और  यूथ एंड एंपावरमेंट -(राजा वडिंग) प्रस्ताव पेश करेंगे।

3 दिन तक चलेगा चिंतन शिविर

3 दिन तक चलने वाले चिंतन शिविर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित देश भर से 400 नेताओं को चिंतन शिविर में आमंत्रित किया जाएगा। उदयपुर शहर में ही चिंतन शिविर के के आधा दर्जन लग्जरी होटल बुक किए गए हैं। चिंतन शिविर में इस बात पर भी मंथन होगा कि कांग्रेस की वर्तमान युवा पीढ़ी और अनुभवी नेताओं के बीच राज्यों में तालमेल किस तरीके से बेहतर हो और इन दोनों पीढिय़ों की भूमिका किस तरीके से स्पष्ट तौर पर तय कर दी जाए ताकि आपसी टकराहट और गुटबाजी खत्म की जा सके। कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए नेताओं को जिम्मेदारी देना शुरू कर दिया है।

गुजरात चुनाव पर भी होगा मंथन

महंगाई का मुद्दा किसानों के मुद्दे, दलितों और अल्पसंख्यकों पर हिंसा, देश के राजनीतिक और आर्थिक हालात, गुजरात और हिमाचल के चुनाव की तैयारियों पर मंथन होगा। शिविर में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों सहित लोक सभा चुनावों में कांग्रेस की रणनीति चुनौतियों सहित अलग अलग मुद्दों पर तैयारियों का जिम्मा अलग-अलग नेताओं की कमेटियों को सौंपे जाने की संभावना है।

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