हॉर्न से उड़ी सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की धज्जियां, ड्राइवर धड़ल्ले से बजा रहे हॉर्न, पुलिस के कान बंद
Drivers flouting Supreme Court orders.
देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी में बहुत लंबे समय से सिटी बस चालक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरेआम धज्जियाँ उडा रहे हैं, ध्वनी प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश हैं कि शहर की सड़कों पर तेज ध्वनी के हॉर्न कतई नही बजाए जायेंगे ।
लेकिन इसके बावजूद चालकों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है, इनके हॉर्न प्रेशर इतना तेज़ हैं कि मानो किसी को भी इससे हार्ट अटैक आ जाए लेकिन इन्हे क्या इन्हे तो सिर्फ तेज़ हॉर्न बजाने से मतलब हैं ।
दूर दराज की तो छोडिए दिलाराम चौक , प्रेमनगर, सर्वे चौक , प्रिन्स चौक पर सीपीयू और ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी मे भी धड़ल्ले से ये हॉर्न बजाते हैं और सरेआम नियमों का उलंघन करने से बाज नही आते।
दिन की तो छोड़ो रात को जब लोग सोचते हैं कि चैन की नींद सोएंगे तो ये उनकी नींद उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
इनका शोर इतना है की शहर से दूर गाँव तक या दूर दराज़ इलाकों तक इनकी आवाज़ आती हैं । आपको बता दे कि इन प्रेशर हार्न को बजाने पर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कठोरता के साथ लागू करवाया और प्रेशर हॉर्न बजाने वालों पर कठोर कार्रवाई कर दंडित किया लेकिन उतराखंड की राजधानी में पुलिस और परिवहन विभाग कुम्भकर्णी नींद से जागने का नाम नही ले रहा है।
बड़ा सवाल अब ये उठता है की हर चौक पर रात को पुलिस तैनात रहती है व गाड़ियों की चेकिंग करती है तो ऐसे में क्या पुलिस अपने कान में रुई ड़ाल कर रखती हैं ।
जिन्हें ये हॉर्न सुनाई नहीं देता वहीं परिवहन विभाग और यातायात पुलिस इस खबर का संज्ञान लेकर धरातल पर उतर कर कोई ठोस कार्रवाई अमल में लाती है या नहीं।
सवाल ये भी है की लोगो के सीने पर सीट बैल्ट और दोपहिया चालकों के सर पर हेलमेट लगवा चुकी पुलिस, आखिर किस दबाव में पुलिस इन सिटी बसो से प्रेशर हार्न उतरवाने में क्यों नाकाम हो रही है क्या पुलिस पर सरकार का कोई प्रेशर है या ये बिलकुल रिश्वतखोर हो चुकी है।