महाराष्ट्र

पीएम मोदी को लिखी मन की बात, शिवाजी पर बयान विवाद, भगत सिंह कोश्यारी क्यों नहीं रहे महाराष्ट्र के राज्यपाल, जानिए: टॉप 10 बातें’

भगत सिंह कोश्यारी जब से महाराष्ट्र के राज्यपाल नियुक्त किया गया, तब से वो सरकार के साथ कई मुद्दों और अपने बयानों के चलते सुर्खियों में बने रहे। कोश्यारी से जुड़ी जानिए 10 बड़ी बातें।

1. झारखंड के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भगत सिंह कोश्यारी की जगह लेंगे। कोश्यारी पर मराठी भावना को आहत करने का आरोप लगाया गया था।

2. 80 साल के कोश्यारी ने पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि वह पद छोड़ना चाहते हैं। राजभवन के एक बयान में कहा गया, ‘राज्यपाल कोश्यारी ने अपना शेष जीवन पढ़ने, लिखने और अन्य शांतिपूर्ण बिताने की इच्छा व्यक्त की है।

3. कोश्यारी को 2019 में राज्यपाल नियुक्त किया गया था। राज्यपाल की कुर्सी पर लगभग 3 साल रहे कोश्यारी इस छोटे से कार्यकाल में अपने बयानों और फैसलों से कई बार विवाद खड़ा कर चुके हैं। अपने कार्यकाल के दौरान महाविकास अघाड़ी के साथ भी उनकी तनातनी खुलकर नजर आई। वहीं उनके बयानों को लेकर विपक्ष लगातार उन पर निशाना साधता रहा और बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाता रहा। उन्होंने कई बार ऐसे बयान दिए, जिसको लेकर विवाद छिड़ गया और माफी तक मांगनी पड़ी।

4. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार और राजभवन कई मुद्दों पर भिड़े, जिसमें कोविड महामारी के बाद मंदिरों को फिर से खोलना, कोश्यारी की देहरादून यात्रा के लिए एक राज्य विमान से इनकार करना के बाद एक विशेष विधानसभा सत्र शामिल है।

5. कोश्यारी ने पिछले साल नवंबर में एक विवाद खड़ा कर दिया था, जब उन्होंने कहा था कि छत्रपति शिवाजी पुराने दिनों के प्रतीक थे। भाजपा के शीर्ष नेताओं को इस विवाद में कूदना पड़ा, क्योंकि राजनीतिक विपक्ष ने राज्यपाल पर मराठा नेता का अपमान करने का आरोप लगाया। इससे पहले, उन्होंने विवाद खड़ा कर दिया था जब उन्होंने कहा था कि गुजरातियों और राजस्थानियों के चले जाने पर महाराष्ट्र के पास पैसा नहीं बचेगा।

6. शिवाजी पर दिए बयान के बाद राज्यपाल कोश्यारी की खूब आलोचना हुई थी। इसके बाद उन्हें सफाई भी देनी पड़ी थी। उन्होंने अमित शाह को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था, ‘मैं देश के महापुरुषों का अपमान करने की बात सपने में भी नहीं सोच सकता। आज के कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति का उदाहरण देना महान नेताओं का अपमान नहीं हो सकता। मैं मुगल युग के दौरान साहस और बलिदान के प्रतीक महाराणा प्रताप, गुरु गोबिंद सिंहजी और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महापुरुषों का अपमान करने के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकता।

7. भगत सिंह कोश्यारी के इस्तीफे को आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र के लिए बड़ी जीत बताया है। आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर लिखा, ‘महाराष्ट्र के लिए बड़ी जीत। महाराष्ट्र विरोधी राज्यपाल का इस्तीफा मंजूर हुआ। छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा ज्योतिबा पुले और सावित्री बाई फुले, संविधान, विधानसभा और लोकतांत्रिक आदर्शों का लगातार अपमान करने वाले को राज्यपाल के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है!

8. कोश्यारी 2002 से 2007 तक वे उत्तराखंड विधानसभा में नेता विपक्ष रहे। फिर साल 2008 से 2014 तक वे उत्तराखंड से राज्यससभा के सदस्य चुने गए थे। इसके बाद उन्हें महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल सी रविशंकर का कार्यकाल पूरा होने के बाद यहां का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

9. साल 2019 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाने के बाद से ही कोश्यारी का विवादों से नाता रहा है। देवेन्द्र फडणवीस और अजीत पवार को 23 नवंबर की सुबह 8 बजे सीएम और डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई। केवल 48 घंटों में फडणवीस की सरकार गिर गई। राज्यपाल कोश्यारी पर आरोप लगे कि उन्होंने अजीत पवार के साथ कितने विधायक हैं ये जाच पड़ताल किए बगैर शपथ दिला दी। राज्यपाल के इस फैसले को पक्षपात वाला करार दिया गया था।

10. राज्यपाल कोश्यारी ने पिछले साल मार्च 2022 में ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के बाल विवाह पर टिप्‍पणी की थी, जिस पर हंगामा खड़ा हो गया था। कोश्यारी ने कहा था कि ‘सावित्रीबाई की शादी 10 साल की उम्र में हुई थी और उनके पति उस समय 13 साल के थे। अब, इसके बारे में सोचें कि शादी करने के बाद लड़की और लड़का क्या सोच रहे होंगे। हालांकि इस बयान की भी कोश्यारी ने खंडन किया था।

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