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राजीव भरतरी व पांच अन्य अधिकारियों से विजिलेंस ने घंटों की पूछताछ.

कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग में पाखरो टाइगर सफारी, अवैध पेड़ कटान और अवैध निर्माण मामले में विजिलेंस ने अधिकारियों से पूछताछ शुरू कर दी है।

मंगलवार को विजिलेंस मुख्यालय में वन विभाग के तत्कालीन मुखिया राजीव भरतरी व आइएफएस अधिकारी कल्याणी सहित पांच पूर्व अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया। देर रात तक उनसे पूछताछ की गई।

हल्द्वानी सेक्टर से आई टीम ने अधिकारियों से पूछताछ की और सफारी, अवैध कटान और अवैध निर्माण को लेकर सवाल जवाब किए।

इससे पहले सोमवार को भी विजिलेंस ने सारा दिन इन अधिकारियों से हल्द्वानी में पूछताछ की।

विजिलेंस ने टाइगर रिजर में हुए निर्माण से संबंधित दस्तावेज भी मंगवाए थे। विजिलेंस पहले ही इस मामले में खुली जांच कर चुकी है और जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें कदम-कदम पर अनियमितता की बात सामने आई है।

पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर ही विजिलेंस अधिकारियों से पूछताछ कर रही है।

कार्बेट पार्क के पाखरो टाइगर सफारी मामले में पूर्व आईएफएस अधिकारी किशन चंद सहित अन्य संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विजिलेंस हल्द्वानी सेक्टर ने बीते आठ अगस्त को मुकदमा दर्ज किया था।

इस मामले में कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद को मुख्य और अन्य को सह आरोपी बनाया है।

कालागढ़ टाइगर रिजर्व के पाखरो में वन विभाग ने टाइगर सफारी के निर्माण का निर्णय लिया। इसकी अनुमति मिलने के बाद पाखरो में 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी के लिए बाड़ों का निर्माण समेत अन्य कदम उठाए गए।

इस बीच वर्ष 2019 में टाइगर सफारी के लिए पेड़ कटान के साथ ही बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की टीम ने स्थलीय

इसमें शिकायतों को सही पाते हुए एनटीसीए ने जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए। इससे विभाग में हड़कंप मचा और फिर पाखरो के वन क्षेत्राधिकारी को निलंबित किया गया।

बाद में कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद और फिर तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग को निलंबित कर दिया गया।

वर्तमान में किशन चंद और जेएस सुहाग सेवानिवृत्त हो चुके हैं। साथ ही कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल को वन मुख्यालय से संबद्ध किया गया है।

विभाग के तत्कालीन मुखिया राजीव भरतरी और प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव अनूप मलिक को शासन ने नोटिस जारी किए थे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया था।

विभागीय जांच में भी अनियमितता की पुष्टि.

वन विभाग ने भी इस प्रकरण की अपने स्तर से जांच कराई। अधिकारियों के पांच सदस्यीय जांच दल ने स्थलीय निरीक्षण कर बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाईं।

ये बात सामने आई कि निर्माण कार्यों के लिए किसी भी स्तर से वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति तक नहीं ली गई। इस बीच शासन ने इस प्रकरण की विजिलेंस जांच कराने का निर्णय लिया।

विजिलेंस को आठ नवंबर 2021 को यह जांच मिली। अब उसकी जांच में भी प्रकरण में गंभीर अनियमितता की पुष्टि हुई है।

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