प्रशासन ने अभी तक प्रभावित परिवारों को कोई मदद नहीं दी है।
क्षेत्र में बार-बार आ रहे भूकंपीय झटकों ने प्रभावित निवासियों की चिंता बढ़ा दी है।
चूंकि पिछले साल भूस्खलन से कई घरों में दरारें आ गई थीं।
इसलिए निवासी अपने घरों को सहारा देने के लिए लकड़ी के खंभों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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हाल के महीनों में महसूस किए गए झटकों ने निवासियों में भय फैला दिया है।
जोशीमठ के गांधीनगर, रविग्राम और सुनील इलाके के निवासी अपने घरों में दरारों के साथ रह रहे हैं और उन्हें अपनी जान का डर भी सता रहा है।
गांधीनगर की पूर्व वार्ड सदस्य ललिता देवी बताती हैं कि अकेले इस इलाके में 40 से ज्यादा परिवार ऐसे जोखिम भरे हालात में जीवन यापन कर रहे हैं।
इसके अलावा 10 परिवार अतिरिक्त सहारे के लिए लकड़ी के खंभे लगाकर घरों में रह रहे हैं।
गांधीनगर में जितेंद्र, वसंत, दिनेश लाल, दुर्गा लाल, रीना देवी, पुष्पा देवी और अन्य लकड़ी के खंभों के सहारे घरों में रहते हैं।
वे दिन का समय अपने घरों में बिताते हैं लेकिन रात बिताने के लिए अपने रिश्तेदारों के घर जाते हैं।
हाल ही में भूकंप के झटके महसूस किए जाने के बाद से डर और चिंता बढ़ गई है।
उनका कहना है कि हाल के झटकों के बाद उनके घरों में दरारें बढ़ गई हैं।
उन्होंने प्रशासन से सुरक्षित आवास की भी मांग की है।
इसके अलावा मनोहरबाग वार्ड में बारिश के अभाव में हाल ही में हुए भूस्खलन और धंसने से स्थानीय लोगों की चिंता और बढ़ गई है।
मनोहरबाग निवासी भगवती प्रसाद कपरवां बताते हैं कि इलाके में सड़कों, नालियों और घरों में दरारें दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में स्थानीय प्रशासन को एक ज्ञापन भी सौंपा गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले महीने अधिकारियों ने कस्बे का भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था लेकिन अब तक प्रभावित परिवारों को कोई मदद नहीं दी गई है।
यहां यह बताना उचित होगा कि चमोली जिले का जोशीमठ न केवल भारत-तिब्बत सीमा से निकटता के कारण महत्वपूर्ण है।
यह बद्रीनाथ, फूलों की घाटी और हेमकुंड के मार्गों पर अंतिम प्रमुख शहर भी है।