वर्तमान समय में यूरिक एसिड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कम उम्र के लोगों को भी यह समस्या होने लगी है।
बड़ी संख्या में लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होती, जिसकी वजह से परेशानी बढ़ जाती है।
यूरिक एसिड हमारे लिवर में बनने वाला एक वेस्ट प्रोडक्ट होता है। यह ब्लड के जरिए किडनी तक पहुंचता है और यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाता है।
जानकारी के मुताबिक,, पुरुषों में यूरिक एसिड 4 से 6.5 लेवल तक सामान्य होता है।
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महिलाओं में इसका स्तर 3.5 से 6 तक नॉर्मल माना जाता है। जब इसका लेवल सामान्य से ज्यादा हो जाता है, तब यह शरीर के विभिन्न अंगों में जमा हो जाता है।
यूरिक एसिड बढ़ने पर हाथ और पैरों के जॉइंट्स में गाउट की समस्या हो जाती है। लंबे समय तक यह समस्या होने पर किडनी फेलियर की नौबत आ जाती है।
यूरिक एसिड सभी की बॉडी में बनता है और किडनी इसे फिल्टर करके बॉडी से बाहर भी निकाल देती है।
जब हम प्यूरीन डाइट का अधिक सेवन करते हैं और किडनी इन टॉक्सिन को बॉडी से बाहर निकालने में असमर्थ होती है तो बॉडी में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने लगता है।
हाई प्यूरीन डाइट जैसे कुछ मीट, जैसे बेकन, टर्की, वील, ऑर्गन मीट जैसे लिवर, बीफ, चिकन, बत्तख, पोर्क और हैम, शंख, केकड़ा, झींगा मछली और कस्तूरी का सेवन करने से यूरिक एसिड का स्तर तेजी से बढ़ता है।
अल्कोहल का ज्यादा सेवन भी यूरिक एसिड के स्तर को तेजी से बढ़ाता है। लम्बे समय तक यूरिक एसिड का स्तर कंट्रोल नहीं रहेगा तो इससे जोड़ों में क्रिस्टल जमा होने लगते हैं जिससे हाइपरयूरिसीमिया नामक स्थिति उत्पन्न हो जाती है जो गाउट का कारण बनती है। यूरिक एसिड का बढ़ना जोड़ों में दर्द और सूजन का कारण बनता है।
यूरिक एसिड बढ़ने की 3 प्रमुख वजह होती हैं। जब किसी व्यक्ति के शरीर में यूरिक एसिड बनाने वाला एंजाइम डिफेक्टिव होता है, तब इसका प्रोडक्शन बढ़ जाता है।
ऐसी कंडीशन में धीरे-धीरे यह जमा होने लगता है। यूरिक एसिड बढ़ने की दूसरी सबसे बड़ी वजह लिवर और किडनी की फंक्शनिंग में गड़बड़ी होती है।
तीसरी वजह नॉन-वेज का ज्यादा सेवन होता है। ज्यादा नॉन वेज खाने वाले लोगों का यूरिक एसिड बढ़ जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य हेल्थ कंडीशंस भी यूरिक एसिड बढ़ा देती हैं।
यूरिक एसिड बढ़ने पर हाथ और पैरों के अंगूठे के जॉइंट्स में गाउट की समस्या हो जाती है। गाउट एक तरह का आर्थराइटिस होता है, जिससे शरीर के छोटे जॉइंट्स में दर्द होता है।
लंबे समय तक अगर यूरिक एसिड का लेवल हाई रहे, तो किडनी फेलियर, किडनी स्टोन और ब्लड प्रेशर बढ़ने की समस्या हो सकती है।
यूरिक एसिड बढ़ने से हार्ट पर भी प्रेशर बढ़ जाता है और हार्ट डिजीज हो सकती हैं। यूरिक एसिड का डायबिटीज से कोई कनेक्शन सामने नहीं आया है। ब्लड टेस्ट कराने पर यूरिक एसिड का पता चलता है।
गोखरू, सौंठ, मेथी और अश्वगंधा से करें यूरिक एसिड कंट्रोल
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मुताबिक यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए कुछ हर्ब्स का सेवन जादुई असर करता है।
अगर इन हर्ब्स का सेवन उनका पाउडर बनाकर किया जाए तो आसानी से यूरिक एसिड के स्तर को कंट्रोल किया जा सकता है।
यूरिक एसिड का स्तर सामान्य से ज्यादा रहता है तो आप गोखरू, सौंठ, मेथी और अश्वगंधा के पाउडर का सेवन करें।
गोखरू एक कमाल की जड़ी बूटी है जिसमें पोटैशियम और नाइट्रेट की मात्रा काफी अधिक होती है और इसमें मूत्रवर्धक गुण भी पाए जाते हैं।
किडनी की पथरी को तोड़ने में ये जड़ी-बूटी बेहद असरदार साबित होती है। ये जड़ी बूटी पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ती है और किडनी को स्वस्थ बनाती है।
गोखरू का सेवन आप उसका पाउडर और काढ़ा बनाकर दोनों तरह से कर सकते हैं।
गोखरू को 400 ग्राम पानी में उबालें जब ये 10 ग्राम बच जाए तो इसका ठंडा करके सेवन करें। जोड़ों के दर्द को दूर करने में इसका सेवन असरदार साबित होता है।
सोंठ में जिंजरोल मौजूद होता है साथ ही इसमें पोटेशियम, जिंक, आयरन, विटामिन, कैल्शियम और बीटा कैरोटीन भी मौजूद होता है जो इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग करता है और बॉडी को हेल्दी बनाता है।
जिन लोगों का यूरिक एसिड हाई है वो सौंठ यानि सूखी हुई अदरक का सेवन करें जोड़ों के दर्द से आराम मिलेगा।
गोखरू के साथ सौंठ और एक चम्मच मेथी के दानों को मिलाकर खाने से यूरिक एसिड कम करने में मदद मिलती है।
ये जोड़ों का दर्द और सूजन को कंट्रोल करता है। अश्वगंधा एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है जो शरीर का दर्द और सूजन दूर करने में असरदार है।
गोखरू, सौंठ, मेथी और अश्वगंधा का कैसे करें सेवन
गोखरू, सौंठ, मेथी और अश्वगंधा को बराबर मात्रा में मिला लें और उसे मिक्सर में पीसकर उसका पाउडर बना लें।
इस पाउडर का सेवन सुबह-शाम दवाई की तरह करें आपको साफ फर्क दिखेगा। इस पाउडर का सेवन करने से जोड़ों का दर्द दूर होगा, सूजन कम होगी और यूरिक एसिड कंट्रोल रहेगा।