1 बच्चा पैदा करने पर 3 लाख रुपये देगी सरकार :- इस दौर में जहां कई देश जनसंख्या नियंत्रण की बातें कर रहे हैं, वहीं एक ऐसा भी देश है जो अपने नागरिकों से कह रहा है, “बच्चे पैदा करो, हम तुम्हें पैसे देंगे.” जी हां, यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि ताइवान की सरकार की एक गंभीर और ज़रूरी नीति है. जहां एक ओर दुनिया जनसंख्या विस्फोट की चुनौती से जूझ रही है, वहीं ताइवान उस मुश्किल मोड़ पर खड़ा है जहां जनसंख्या की गिरती दर और बूढ़ी होती आबादी ने सरकार की नींदें उड़ा दी हैं.अब ताइवान ने एक अनोखा रास्ता अपनाया है- माता-पिता को बच्चों के जन्म पर नकद प्रोत्साहन दिया जाएगा. और अगर जुड़वां बच्चे हुए, तो सरकार दोगुनी नहीं, छह लाख रुपये तक दे रही है. यह सुनकर चौंकना स्वाभाविक है, लेकिन इसके पीछे की कहानी और भी ज़्यादा गंभीर है।
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ताइवान सरकार ने क्यों उठाया ये कदम?
ताइवान इस समय जन्म दर में गिरावट की गंभीर समस्या से जूझ रहा है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि देश की 20 प्रतिशत से अधिक आबादी 65 वर्ष से ऊपर की हो चुकी है. इस स्थिति को जनसंख्या विज्ञान की भाषा में “सुपर-एज्ड सोसाइटी” कहा जाता है, यानी एक ऐसा समाज जहां बुज़ुर्गों की संख्या युवाओं से कहीं ज़्यादा हो.अब आप सोचिए, जब सेना के लिए जवान नहीं, उद्योगों के लिए कामगार नहीं, और राष्ट्र के लिए युवा सोच नहीं होगी, तो देश कैसे आगे बढ़ेगा? यही वजह है कि ताइवान सरकार अब युवाओं को शादी करने और बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
ताइवान सरकार की नई योजना
ताइवान की सरकार ने इस साल एक नई योजना की घोषणा की है, जिसमें प्रत्येक नवजात शिशु के जन्म पर माता-पिता को $3,320 (लगभग 3 लाख रुपये) की राशि मिलेगी. यदि जुड़वां बच्चे होते हैं तो यह राशि बढ़कर $7,000 (करीब 6.16 लाख रुपये) हो जाएगी.सरकार ने सिर्फ बच्चों के जन्म पर ही नहीं, बल्कि बांझपन के इलाज में भी आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है, ताकि जोड़े संतान के सुख से वंचित न रहें.यह बदलाव पहले की योजना से कहीं ज्यादा उदार और प्रभावी है. पहले जो राशि दी जाती थी, वह सिर्फ कामकाजी माताओं तक सीमित थी और राशि भी कम थी- करीब $1300 से $2300 के बीच. अब यह योजना हर परिवार के लिए है, चाहे वे किसी भी वर्ग से हों।
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गिरती जन्म दर बनी राष्ट्रीय संकट
ताइवान की जन्म दर फिलहाल दुनिया में सबसे कम मानी जा रही है. 2022 में यह दर 0.87 तक गिर गई थी, जो किसी भी समाज के दीर्घकालिक भविष्य के लिए खतरे की घंटी है. गौर करने वाली बात यह है कि एक स्थिर जनसंख्या बनाए रखने के लिए प्रति महिला कम से कम 2.1 बच्चों का जन्म जरूरी होता है. यानी ताइवान उस स्तर से भी आधी दर पर चल रहा है.गृह मंत्रालय के अनुसार, ताइवान में यह गिरावट लगातार नौवें साल देखी गई है. अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले दशक में ताइवान को न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सैन्य और सामाजिक स्तर पर भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ताइवान की सुरक्षा और अस्तित्व पर संकट
यह पूरी समस्या केवल जनसंख्या से जुड़ी नहीं है, इसका सीधा संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा से भी है. ताइवान को चीन से हमेशा खतरा बना रहता है. ऐसे में अगर युवा आबादी ही घटती चली जाए तो देश की सैन्य क्षमता कैसे मजबूत होगी? हालांकि देश में अनिवार्य सैन्य सेवा लागू है, फिर भी सेना में भर्ती के लिए जरूरी युवाओं की कमी स्पष्ट रूप से सामने आने लगी है. ऐसे में सरकार अब लोगों को केवल समझा नहीं रही, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से प्रेरित कर रही है कि वे आगे आएं, परिवार बढ़ाएं, और देश के भविष्य को मजबूत करें।

