पटना विश्वविद्यालय की सेंट्रल डिस्पेंसरी का अस्तित्व खतरे में, आधे से अधिक डॉक्टर व कर्मचारी हुए रिटायर
![the existence of the central dispensary of patna university is in danger](https://khojinarad.com/wp-content/uploads/2022/06/The-existence-of-the-Central-Dispensary-of-Patna-University-is-in-danger.webp)
पटना विश्वविद्यालय की सेंट्रल डिस्पेंसरी का अस्तित्व खतरे में है. इसके एक-एक कर डॉक्टर व कर्मचारी रिटायर हो गये हैं. आधे से अधिक पद खाली हो चुके हैं. जो कुछ डॉक्टर व कर्मचारी बचे हैं, कुछ अगले साल जनवरी में और कुछ 10 से 15 वर्षाें में सभी रिटायर हो जायेंगे और डिस्पेंसरी को बंद करना पड़ेगा. मालूम हो कि राज्य के प्रथम मुख्य मंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने इस डिस्पेंसरी का उद्घाटन किया था. उस समय देश के चुनिंदा विवि में डिस्पेंसरी हुआ करती थी.
चार कर्मचारी जनवरी में होंगे रिटायर
यहां डॉक्टरों की 15 सीटें है, जिनमें छह डॉक्टर ही मौजूद हैं. इसी तरह 40 कर्मचारी में 15 ही बचे हैं. चार कर्मचारी जनवरी में रिटायर हो जायेंगे. इनमें तीन फोर्थ ग्रेड और एक पैथोलॉजी स्टाफ हैं. टेक्नीशियन अब यहां नहीं के बराबर हैं. एक्स-रे दो वर्ष तक बंद था, इस वजह से यहां डिजिटल एक्स-रे अब कोई काम का नहीं बचा. संविदा पर एक टेक्नीशियन बहाल किया गया़ वह मैनुअल पुरानी मशीन से एक्स-रे करते हैं. पैथोलॉजी में भी अब कम ही स्टॉफ बचे हैं.
डिस्पेंसरी को दवा की जरूरत
पटना विवि की डिस्पेंसरी की सभी मशीनें और सिस्टम पुराने हैं. कुछ मशीनें टेक्नीशियन नहीं रहने से इस्तेमाल नहीं हो रही हैं, तो कुछ टेक्नीशियन होते हुए भी सड़ रही हैं. जैसे डिजिटल एक्स-रे को ठीक करने के लिए दो लाख रुपये का खर्च है. इस वजह से करीब आठ लाख की मशीन यूं ही डिब्बे की तरह पड़ी है. जिस भवन का उद्घाटन श्रीकृष्ण सिंह ने किया था, वह पीएमसीएच की परियोजना की वजह से टूटने वाली है और वह पीएमसीएच के चर्म विभाग के भवन में शिफ्ट होने वाला है, जो दरभंगा हाउस की तरफ है.
पूर्व भवन को खाली करने के बाद वह टूट जायेगा, उसका अस्तित्व कुछ दिन बाद ही समाप्त हो जायेगा. नये भवन, जहां डिस्पेंसरी को शिफ्ट किया जाना है, वहां बिना ठीक प्रकार से कोई निर्माण कराये भवन को हैंडओवर करने का प्रस्ताव विवि के पास आ गया है. विवि ने भवन को ठीक प्रकार से सुविधा युक्त कर दोबारा मांगा है. इसके लिए पत्र सरकार को भेजा गया है.
डिस्पेंसरी को जीवनदान देना है, तो कैबिनेट से यहां डॉक्टरों की नियुक्ति का प्रस्ताव को स्वीकृति देनी होगी. उक्त डिस्पेंसरी में कई जानी-मानी हस्ती, जो यहां पढ़ते थे, इलाज कराया करते थे. कभी इसका बहुत नाम था. लेकिन अब यह अपने दिन गिन रहा है. -डॉ प्रभाकर , पूर्व चीफ मेडिकल ऑफिसर, पीयू
चार कर्मचारी जनवरी में रिटायर हो रहे हैं. डॉक्टर व कर्मचारियों की कमी की वजह से परेशानी काफी बढ़ती जा रही है. कुछ लोगों को कांट्रैक्ट पर रखा गया है. लेकिन, नियमित नहीं होने से कई समस्याएं हैं. कांट्रैक्ट पर कर्मी अधिक दिन नहीं रहते, इससे परेशानी हो जाती है. -डॉ अनिल कुमार, चीफ मेडिकल ऑफिसर, पीयू