राजेश खन्ना की वो बोल्ड फिल्म, जो सिर्फ 9 सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी :- बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना का जादू 70 के दशक में सिर चढ़कर बोला करता था, उनकी एक झलक पाने के लिए लडकियां दीवानी थीं, फूलों से भरे खत, खून से लिखे प्रेम पत्र और सिनेमा हॉल के बाहर लगती लंबी कतारें, ये सब आम बात थी, लेकिन हर सितारे के करियर में एक वक्त ऐसा आता है जब चमक थोड़ी फीकी पडने लगती है, जब राजेश खन्ना का करियर डगमगाने लगा , 70 के दशक की शुरुआत में राजेश खन्ना की कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं, लग रहा था कि सुपरस्टार का जादू अब ढलने लगा है, लेकिन तभी एक फिल्म आई जिसने न केवल राजेश खन्ना के करियर को संभाला, बल्कि एक नए निर्देशक को भी स्टार बना दिया।
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1973 की फिल्म दाग, साल था 1973 , और फिल्म थी दाग, इस फिल्म का निर्देशन किया था यश चोपडा ने, जो उस समय अपने डायरेक्टोरियल करियर की शुरुआत कर रहे थे, फिल्म की कहानी उस दौर के लिहाज़ से काफी बोल्ड और हटकर थी, एक ऐसा लव ट्राएंगल, जिसमें समाज, रिश्ते और नैतिकता की सीमाओं को चुनौती दी गई थी, सिर्फ नौ थिएटर में रिलीज, लेकिन, फिल्म का कंटेंट थोडा बोल्ड था, इसलिए इसे लेकर डिस्ट्रिब्यूटर्स में झिझक थी, यश चोपडा ने यह रिस्क लिया ।
फिल्म को सिर्फ नौ सिनेमाघरों में रिलीज किया, उस समय ऐसा सोचा जा रहा था कि शायद फिल्म नहीं चलेगी, लेकिन जो हुआ, वो किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं था, कम बजट, लेकिन बडी कमाई, दाग का बजट था सिर्फ एक दशमलव चार शून्य लाख रुपए, जी हां, इतनी कम लागत में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर करीब 6.5 करोड रुपए की कमाई कर डाली, जो उस समय एक बडी बात थी, फिल्म में राजेश खन्ना, राखी, और शर्मिला टैगोर मुख्य भूमिकाओं में थे, और तीनों ने अपने किरदारों को बेहद संजीदगी से निभाया, फिल्म ने बदल दी किस्मत, दाग की ज़बरदस्त सफलता ने राजेश खन्ना को दोबारा बुलंदियों पर पहुंचा दिया, साथ ही, यश चोपडा को इंडस्ट्री में एक नए और काबिल निर्देशक के रूप में स्थापित कर दिया।
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इस फिल्म ने साबित किया कि कंटेंट ही असली किंग है, बजट, प्रमोशन और स्केल सब कुछ बाद में आता है, आज जब हम ओटीटी पर बोल्ड और एक्सपेरिमेंटल कंटेंट देखते हैं, तो शायद ही हमें एहसास होता हो कि 50 साल पहले भी ऐसे जोखिम लेने वाले क्रिएटिव दिमाग मौजूद थे, दाग सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक मिसाल है, कि अगर कहानी दमदार हो, तो उसे रोक पाना नामुमकिन है ।

