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भारत की शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक स्तर पर बनाने का संकल्प

I do not want children from middle class families to go abroad to study and spend huge money.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हम भारत में ऐसी शिक्षा व्यवस्था बना रहे हैं कि देश के बच्चों को पढ़ने के लिए विदेशों में जाने की आवश्यकात नहीं पड़े, बल्कि विदेशों से पढ़ने के लिए बच्चे यहाँ आएं।

मोदी ने आज लाल किले की प्राचीर से 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, “जो हो गया है, हम उससे संतुष्ट होकर बैठने वाले नहीं है।

हम विकास को, समृद्धि को अपना स्वभाव बनाना चाहते हैं। आज नयी शिक्षानीति के कारण शिक्षा क्षेत्र को 21वीं सदी के अनुरूप व्यवस्था बना रहे हैं, मैं नहीं चाहता कि मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे विदेश पढ़ने जाएं और मोटा पैसा खर्च हो।

मैं चाहता हूं कि भारत में ऐसी शिक्षा व्यवस्था हो, जिससे विदेश से बच्चे यहां पढ़ने आएं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “नयी शिक्षा नीति में मातृ भाषा को बल मिला।

भाषा प्रतिभा के आड़े नहीं आनी चाहिए। जीवन में मातृ भाषा को बल देना होगा। आज दुनिया में जैसा बदलाव हो रहा है, तब जाकर कौशल का महत्व बढ़ गया है।

हम जीवन के हर क्षेत्र में, कृषि में भी कौशल विकास चाहते हैं, स्किल इंडिया प्रोग्राम को आगे बढ़ाया है।

नौजवानों की कौशल बढ़े, बाजार में उनकी ताकत दिखाई दे। आज दुनिया की परिस्थिति को देखते हुए कह सकता हूं कि नौजवान दुनिया में अपनी धमक बनाए, इसे लेकर आगे चल रहे हैं।

पीएम मोदी ने इस मौके पर बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय का उल्लेख करते हुए कहा, “नालंदा का महान इतिहास रहा है। हमने नालंदा यूनिवर्सिटी (नालंदा विश्वविद्यालय) को फिर से शुरू किया है। हमारा प्रयास नालंदा को उसका पुराना गौरव लौटना है।

 

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