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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत के लिए देश के सामने 5 प्रण रखा, भाई-भतीजावाद, परिवारवाद और भ्रष्टाचार को बताया चुनौती.

आजादी के 75 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देशवासियों को शुभकामनाएं दी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। ये देश का सौभाग्य रहा है कि आज़ादी की जंग के कई रूप रहे हैं,
उसमें से एक रूप यह भी था जिसमें स्वामी विवेकानंद हों, महर्षि अरविंदो हों, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर हों, ऐसे अनेक महापुरूषों ने हिंदुस्तान के हर कोने में भारत की चेतना को जगाते रहे। देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल ऐसे अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है, मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। जिनके जहन में लोकतंत्र होता है वे जब संकल्प करके चल पड़ते हैं वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी-बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आती है, हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास ये अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में आशाएं, अपेक्षाएं, उतार-चढ़ाव सब के बीच हर एक के प्रयास से हम यहां तक पहुंच पाए हैं।

आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति जिसे लाल किले से गौरव गान करने का मिला अवसर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था.

जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला। मैंने हिंदुस्तान के हर कोने से उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी कारण इतिहास में जगह न मिली या उन्हें भुला दिया गया था। आज देश ने खोज-खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया और नमन किया है।

अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वह बड़ा संकल्प है ‘विकसित भारत का’ और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना। तीसरा प्रण हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। चौथा प्रण एकता और एकजुटता वहीं पांचवां प्रण नागरिकों का कर्तव्य, जिससे प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है, राष्ट्रपति भी बाहर नहीं होता है। आने वाले 25 साल के लिए हमें इन पांचों प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा। इसके साथ उन्होंने कहा कि 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।

हमारी विरासत जिस पर हमें गर्व.

पीएम मोदी ने कहा कि जब तनाव की बात आती है तो लोगों को योग दिखता है। संयुक्त परिवार की एक पूंजी सदियों से हमारी माताओं के त्याग बलिदान के कारण परिवार नाम की जो व्यवस्था विकसित हुई, ये हमारी विरासत है जिसपर हम गर्व करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम वो लोग हैं जो जीव में भी शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, ये हमारा सामर्थ्य है।

स्पेस और समंदर की गहराई में हमारे भविष्य के लिए जरूरी समाधान.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि देश के युवाओं को अंतरिक्ष से लेकर समंदर की गहराई तक रिसर्च के लिए भरपूर मदद मिले। इसलिए हम स्पेस मिशन का, डीप ओशन मिशन का विस्तार कर रहे हैं। स्पेस और समंदर की गहराई में ही हमारे भविष्य के लिए जरूरी समाधान है।

देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां। पहली चुनौती ‘भ्रष्टाचार’ दूसरी चुनौती ‘भाई-भतीजावाद’ और ‘परिवारवाद’। भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं। जो लोग पिछली सरकारों में देश को लूटकर भाग गए, उनकी संपत्तियां ज़ब्त करके वापिस लाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है उन्हें लौटाना पड़े वो स्थिति हम पैदा कर रहे हैं। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं।

भाई-भतीजावाद और परिवारवाद ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं। जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है। जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक ये मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है।

 

 

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