मोटापे जैसी बीमारी किसी भी व्यक्ति के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान इसके नुकसान और गंभीर हो सकते हैं।
इसका प्रभाव न केवल मां पर बल्कि बच्चे पर भी पड़ता है। इसलिए इससे बचाव करना जरूरी है।
जानकारी के अनुसार,, प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापा से होने वाली परेशानियां और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए मोटापा एक बीमारी है, जिसके कारण दूसरी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापा और अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान थोड़ा वजन बढ़ना आवश्यक होता है।
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जानकारी के मुताबिक,, अगर सिंग्ल प्रेग्नेंसी है, यानी गर्भ में एक ही बच्चा है, तो 5-9 कि.ग्रा. वजन बढ़ना सामान्य है।
वहीं, मल्टीपल प्रेग्नेंसी, यानी जुड़वा या उससे अधिक बच्चे हैं, तो 11-19 कि.ग्रा. वजन बढ़ाने की सलाह दी जाती है।
लेकिन अधिक वजन बढ़ना खतरनाक साबित हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान मोटापा स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं पैदा कर सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान कैसे करें मोटापे से बचाव?
प्रेग्नेंसी से पहले और गर्भावस्था के दौरान मोटापे से बचाव करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करना बेहद जरूरी है। वैसे भी स्वस्थ्य जीवनशैली हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी है।
हेल्दी डाइट : संतुलित आहार लें। अपनी डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स शामिल करें। साथ ही, जंक फूड्स और जरूरत से ज्यादा कैलोरी वाला खाना खाने से परहेज करें।
हालांकि, अपनी डाइट प्लान करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
एक्सरसाइज करें : नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है और स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलता है। इसके लिए स्विमिंग, वॉकिंग, प्रीनेटल योग आदि कर सकते हैं। साथ ही, एक्टिव रहने की कोशिश करें।
वजन चेक करें : प्रेग्नेंसी के दौरान हर हफ्ते अपना वजन चेक करें, ताकि आपको पता चल जाए कब वजन नियंत्रित करने की जरूरत है।
सेहत का ख्याल कैसे रखे : अगर आपको थायरॉइड या पीसीओएस जैसी कोई बीमारी है, जिनमें वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है, तो उनका इलाज कराएं और उसे नियंत्रित करने की कोशिश करें।
प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापे की वजह से प्रेग्नेंसी से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं। इनमें कुछ समस्याएं हैं।
जेस्टेशनल डायबिटीज : वे महिलाएं, जिनका BMI 30 या उससे ज्यादा होता है, उनमें जेस्टेशनल डाइबिटीज का खतरा काफी बढ़ जाता है।
इस कंडिशन की वजह से अन्य समस्याएं, जैसे हाई ब्लड प्रेशर और कई गंभीर कॉम्प्लिकेशन्स हो सकते हैं, जो मां और बच्चे, दोनों की सेहत को काफी प्रभावित करते हैं।
प्रीएक्लेम्प्शिया : मेटरनल ओबेसिटी प्रीएक्लेम्प्शिया की वजह भी बन सकता है। यह प्रेग्नेंसी के दौरान हाइपरटेंशन यानी ब्लड प्रेशर बढ़ने की वजह से होता है।
इसके कारण ऑर्गन डैमेज की समस्या हो सकती है। इसके कारण समय से पहले डिलीवरी, फीटल डिस्ट्रेस, लंबे समय तक लेबर पेन, सी-सेक्शन का रिस्क और हार्ट से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।
स्लीप एपनिया : मोटापे के कारण स्लीप एपनिया होने का खतरा रहता है। इसकी वजह से थकान, हाइपरटेंशन और प्रेग्नेंसी से जुड़ी अन्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।
ब्लड क्लॉटिंग : प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापे की वजह से ब्लड क्लॉटिंग हो सकती है, जिसके कारण कई जानलेवा बीमारियां भी हो सकती हैं, जैसे- पल्मनरी एम्बोलिज्म और डीप वेन थ्रॉम्बोसिस ।
प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापा, बच्चे की सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
माइक्रोसोमिया : मेटरनल ओबेसिटी की वजह से बच्चा सामान्य से बड़े आकार में पैदा हो सकता है। इसकी वजह से डिलिवरी और मुश्किल हो सकती है और जन्म देते समय इंजरी का खतरा भी बढ़ सकता है।
मोटापा : मेटरनल ओबेसिटी की वजह से बच्चा भी मोटापे का शिकार हो सकता है। इसके कारण बच्चों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम, जैसे इंसुलिन रेजिस्टेंस, हाइपरटेंशन आदि का जोखिम बढ़ने लगता है।