जेकेके में ‘जयपुर थियेटर फेस्टिवल’ का नाटक ‘संगीत बारी’ व ’मुगल बच्चा’ के मंचन के साथ हुआ आगाज
जयपुर । जवाहर कला केन्द्र (जेकेके) एवं तारामणि फाउंडेशन, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में परिकल्पित और निर्देशित 5 दिवसीय ’जयपुर थिएटर फेस्ट’ का आगाज सोमवार को जेकेके में हुआ। यह थिएटर फेस्टीवल का पहला संस्करण है, जो कि 29 अप्रेल तक आयोजित होगा। फेस्टिवल के दौरान जयपुरवासियों को देश भर के कुछ बेहतरीन नाटकों को देखने और खुद को रोमांचित करने का अवसर प्राप्त होगा। जयपुर थिएटर फेस्ट मुख्य रूप से कला और संस्कृति मंत्रालय, राजस्थान द्वारा वित्त पोषित है।
सावित्री मेधातुल द्वारा नाटक ‘संगीत बारी’
जेकेके के रंगायन में काली बिल्ली प्रोडक्शन द्वारा ’संगीत-बारी’ नाटक के मंचन के साथ जयपुर थियेटर फेस्टिवल का आगाज हुआ। मुंबई का बहु प्रचलित नाटक ’संगीत-बारी’ जो की पारंपरिक लावणी कलाकारों की कहानियों और उनके प्रदर्शन के जादू को साझा करने वाला एक अद्वितीय नाटक है। यह सावित्री मेधातुल द्वारा निर्देशित और भूषण कोरगांवकर द्वारा लिखित है। यह हिंदी-मराठी नाटक इस बात पर केंद्रित था कि कैसे लावणी दर्शकों के साथ कलाकारों के बीच सीधे संवाद को शामिल करती है। कलाकार ने अपने गायन, ‘अभिनय’ और नृत्य के माध्यम से दर्शकों के साथ संवाद किया। लावणी की समृद्ध विरासत धीरे-धीरे मर रही है और जल्द ही पूरी तरह से भुला दी जाएगी। ज्यादातर महिलाएं, जो संगीत बारी कला केंद्रों (पारंपरिक लावणी थिएटर) में नृत्य करना शुरू करती हैं, वे भाटू कोल्हाटी, डोंबरी और कलवात जैसी खानाबदोश जनजातियों से संबंध रखती हैं। इन समुदायों की महिलाएं सदियों से लावणी करती आ रही हैं। लड़कियों को बहुत कम उम्र में ‘घुंघरू’ बांधकर इस पेशे में लाया जाता है और इसके बाद उन्हें शादी करने की इजाजत नहीं दी जाती। उनसे एक ऐसे व्यक्ति के संरक्षण में रहने की उम्मीद की जाती है जिसे वे मलक (पति) कहती हैं। उस आदमी से उनकी सभी जरूरतों का ख्याल रखने की उम्मीद की जाती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह संरक्षण छिछला होता है और महिलाओं को खुद की देखभाल स्वयं करने के लिए छोड़ दिया जाता है।
नाटक में प्रस्तुति देने वाले कलाकारों में शामिल थे – पुष्पा सत्तारकर, आकांक्षा कदम, लताबाई वायकर, चंद्रकांत लाखे, विनायक जवाले, सुमित कुदलकर, सावित्री, भूषण और शकुंतलाबाई नागरकर।
महमूद अली द्वारा ’मुगल बच्चा’ नाटक
एक और शानदार नाटक ‘मुगल बच्चा’ का मंचन किया गया, जिसका निर्देशन और प्रदर्शन जयपुर के एक वरिष्ठ थिएटर कलाकार महमूद अली द्वारा किया गया।इस नाटक की कहानी इस बारे में है कि कैसे शक्तिशाली शासकों की पत्नियों को अपने पतियों के अहंकार और असफलता का बोझ उठाना पड़ता है। नाटक में केंद्रीय पात्र एक विवाहित जोड़ा, काले मियां और गोरी बी थे। काले मियां सख्त आदेश के रूप में चाहते हैं कि गोरी बी अपनी शादी की रात खुद अपना घूंघट उठाएं। दोनों किरदारों को खुद महमूद अली ने रूपांतरित और निभाया है। कहानी एक पुरुष प्रधान समाज में फंसी एक महिला की दुर्दशा को बयां करती है। नाटक एक व्यक्ति के अहंकार, पुरुषों के तुच्छ स्वभाव और अपनी पत्नियों के प्रति उनके अहंकार के बारे में भी था। मंच संचालन दधीचि पटेल ने किया। नाटककार इस्मत चुगताई थे। लाइट्स को गगन मिश्रा ने डिजाइन किया था और मेकअप एंड हेयर चित्रांशी द्वारा किया गया था।