सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ ही वीर भूमि और सैन्य भूमि भी है। युवाओं में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी है। अधिकांश युवाओं ने अग्निपथ योजना का स्वागत किया है। हमारा दायित्व है कि हम अपने युवाओं को अग्निपथ योजना के सही तथ्यों के बारे में अवगत कराएं। इसे लेकर युवा भ्रमित न हों।
सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री का पूरा जीवन देशहित को समर्पित है। उन्होंने अभी तक सभी निर्णय देशहित में लिये। अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति का कल्याण उनकी प्राथमिकता है। अग्निपथ योजना भी देशहित में लाई गई है। चयनित अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत तो नियमित किये ही जाएंगे, बाकी 75 प्रतिशत के लिये भी विभिन्न अर्धसैन्य बलों, राज्यों के पुलिस बलों व अन्य संस्थानों में व्यवस्था की जा रही है। सेना से आने पर उसके पास इतनी जमाराशि हो जाएगी कि वह अपना स्वयं का व्यवसाय भी प्रारम्भ कर सकता है। या फिर उच्च स्तरीय अध्ययन भी कर सकता है। अग्निवीरों को आकर्षक वेतन पैकेज के साथ ही रिस्क व हार्डशिप एलाउंस भी दिये जाएंगे। इस वर्ष 46 हजार अग्निवीर भर्ती किये जाएंगे। इससे सेना की यंग प्रोफाइल होगी जिससे भविष्य की चुनौतियों से निपटा जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन की समस्या है। यहां हॉर्टीकल्चर में व्यापक सम्भावनाएं हैं। राज्य सरकार हॉर्टीकल्चर में अग्निवीरों को प्रोत्साहित करने के लिये योजना की रूपरेखा तैयार करेगी। राज्य पुलिसबलों में प्राथमिकता की बात पहले ही कही जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के मंथन से अमृत निकलेगा। राज्य सरकार के स्तर से कार्यवाही की जाएगी जबकि केंद्र स्तर से संबंधित सुझावों को केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय को प्रेषित किया जाएगा। कार्यक्रम में प्रत्येक जिले से उपस्थित पूर्व सैनिकों ने अग्निपथ योजना को देशहित में सेना को मजबूत करने वाली महत्वपूर्ण योजना बताया। उन्होंने इस संबंध में अपने सुझाव भी दिये।
कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, मेजर जनरल मोहन लाल असवाल, मेजर जनरल एस सब्बरवाल, विशेष प्रमुख सचिव अभिनव कुमार, सचिव दीपेंद्र चौधरी सहित वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी, एसएसपी सहित बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक मौजूद थे।