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भारत: बलात्कार पर केवल फांसी का प्रावधान हो.

देश में प्रतिदिन बहुत कुछ बनता बिगड़ता रहता है। कुछ बातें समय के साथ भूलती जाती हैं परन्तु कई बार कुछ ऐसा घटता है जो लम्बे समय तक जन-मानस को उद्वेलित करता रहता है। 15 अगस्त को एक तरफ अमृत महोत्सव का जश्न हो रहा था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में नारी सशक्तिकरण की लम्बी बात की और उसी दिन गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो के हत्यारों और बलात्कारी 11 अपराधियों को विशेष छूट देकर रिहा कर दिया।

पूरे देश में इस समाचार से बहुत रोष व्याप्त हुआ। क्योंकि उस अपराध को मुम्बई हाई कोर्ट ने नरसंहार कहा था।

गुजरात में 2002 के दंगे चल रहे थे। बिलकिस बानो के परिवार के कुछ लोग एक ट्रक में बैठ कर भाग रहे थे। दंगाइयों ने ट्रक पकड़ लिया। सभी मर्दों का कत्ल कर दिया।

बिलकिस बानो की गोद में 3 साल की बेटी को पकड़ कर उसके सामने पत्थर पर पटक कर मार दिया। उसके बाद चार महीने की गर्भवती बिलकिस बानो से बारी-बारी 11 हत्यारों ने बलात्कार किया।

बेहोश, नंगी बिलकिस बानो को मरी हुई समझ कर सड़क पर छोड़ कर वे चले गए। कुछ देर के बाद उसे होश आई, छटपटाई, जैसे-तैसे संभली घर पहुंची।

पुलिस में शिकायत की तो शिकायत दर्ज नहीं हुई। बहुत कोशिश करने के बाद शिकायत दर्ज हुई तो जांच नहींं हुई। जैसे-तैसे किसी की सहायता से मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा।

उच्चतम न्यायालय ने सख्त आदेश दिया और यह भी कहा कि इस अपराध की जांच और सुनवाई गुजरात प्रदेश से बाहर हो। तब जाकर अपराधियों को हत्या और बलात्कार के अपराध में उम्र कैद की सजा हुई।

ऐसे भयंकर अपराध में जहां बिलकिस बानो के परिवार के 11 लोगों की हत्या की गई। 3 साल की बेटी को पत्थर पर पटक कर मार दिया और बिलकिस बानो का गैंगरेप किया। उम्र कैद की सजा तभी हुई जब हत्या और गैंगरेप के अपराध सिद्ध हो गए।

ऐसे 8 हत्या व गैंगरेप के अपराध में फांसी ही होनी चाहिए थी। उम्र कैद के बाद सरकार सजा को फांसी में बदलने के लिए उच्चतम न्यायालय क्यों नहीं गई। जब कि हाई कोर्ट ने इसे नरसंहार कहा था।

वे अपराधी प्रभावशाली थे इसीलिए यह सब होता रहा। अपराधी समय-समय पर पैरोल पर आते रहे। जश्न मनाते रहे, पार्टी और रैलियों में भी शामिल होते रहे।

15 अगस्त को सजा पूरी होने से पहले विशेष छूट देकर उन्हें रिहा कर दिया गया। नरसंहार करने वाले इन भयंकर अपराधियों को 15 अगस्त के पवित्र दिन पर रिहा करके देश को क्या संदेश मिला।

कानून में स्पष्ट लिखा है कि उम्र कैद का मतलब पूरी आयु से है और यह भी लिखा है बलात्कार जैसे अपराधियों को किसी भी प्रकार की सजा में माफी नहींं होनी चाहिए।

इस सबके बाद भी उन अपराधियों को छोड़ा गया और छूटने पर हारों से उनका ऐसा स्वागत किया गया जैसे वे बहुत बड़े देशभक्त हों। यह सारा घटनाक्रम किसी भी भारत वासी के दिल को ही नहीं आत्मा को भी कंपा देता है और हर भारतीय का सिर शर्म से झुक जाता है।

आज प्रतिदिन नन्हीं छोटी हजारों बेटियां बलात्कार का शिकार होती हैं। बहुत कम अपराधी पकड़े जाते हैं, मुकद्दमें चलते हैं परन्तु सबको सजा नहीं होती। परिणाम यह है कि देश में बेटियों के साथ बलात्कार के मामले प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।

एक तरफ सरकार ‘बेटी बचाओं और बेटी पढ़ाओं’ का प्रचार कर रही है और दूसरी तरफ बेटियों के साथ बलात्कार के अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।

बलात्कार बेटी का शरीर ही नहीं उसकी आत्मा को भी कुचल देता है। जीवन भर के लिए उसके माथे पर एक कलंक लग जाता है। वह जीती है तो मरते -मरते जीती है।

ऐसी  कितनी ही नन्हीं द्रौपदियां आज खुलेआम मारी जा रही हैं। यह अपराध बढऩे का सबसे बड़ा कारण यह है कि अधिकतर अपराधी प्रभावशाली होते हैं।

सब पकड़े नहीं जाते, पकड़े जाते हैं तो पूरी जांच नहीं होती और सजा तो बहुत कम लोगों को मिलती है।

दिल्ली में निर्भया कांड हुआ, पूरा देश हिल गया। देश की जवानी सड़कों पर आई। सरकार ने वर्मा कमेटी बनाई। बलात्कार के अपराध में सजा अधिक बढ़ा दी परन्तु उसके बाद इस दिशा में कोई सुधार नहीं हुआ।

फर्क इतना पड़ा कि अब अपराधी बलात्कार करने के बाद पीड़िता की हत्या भी कर देता है ताकि कोई प्रमाण बाकी न रहे।

ऊंचे आदर्शों वाले भारत वर्ष में बलात्कार जैसे अपराध का प्रतिदिन बढ़ते जाना बहुत शर्मनाक है। विश्व में कुछ ऐसे देश हैं जहां पर बहुत अधिक सजा होने के कारण बलात्कार का अपराध बहुत कम होता है।

भारत में इस अपराध के बढऩे का एक ही कारण है कि सब अपराधियों को सजा नहीं होती।

बलात्कार और बेटियों के साथ सब प्रकार के अपराधों के लिए विशेष न्यायालय का गठन किया जाए। बलात्कार पर केवल फांसी का प्रावधान हो।

अधिक से अधिक 6 महीने के अंदर मुकद्दमे का फैसला किया जाए। एेसी व्यवस्था होने पर ही इस स्थिति को बदला जा सकता है। भारत के उज्ज्वल माथे पर यह बहुत बड़ा कलंक है।

 

 

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