देहरादून में अगर आपको भी गणतंत्र दिवस पर के अवसर पर छुट्टियां मिल गई हो और आपका कही घूमने जाने का इरादा हो तो देहरादून से अच्छा ऑप्शन नहीं।
अगर आप देहरादून आए और देहरादून की ऐतिहासिक इमारतों का दीदार करें जो बरसों से इतिहास की साक्षी बनी है।
देहरादून में बुद्ध मंदिर, टपकेश्वर मंदिर,वन अनुसंधान संस्थान,बाल वनिता आश्रम,खलंगा वार मेमोरियल,जॉर्ज एवरेस्ट का घर समेत कई महत्वपूर्ण और दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं जो आप की यात्रा को एक सुखद अनुभूति प्रदान करेगा।
देहरादून में टपकेश्वर मंदिर:
महाभारत काल के कई मंदिर देहरादून में स्थित है उनमें से एक है टपकेश्वर मंदिर जिसका संबंध गुरु द्रोणाचार्य से रहा है।
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यह देहरादून शहर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित टपकेश्वर मंदिर एक गुफा मंदिर है।
यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं यहां महाशिवरात्रि के दिन भक्तों का तांता लग जाता है।
देहरादून में बुद्ध मंदिर की क्लिमेंट टाउन क्षेत्र में स्थित है. मिली जानकारी के मुताबिक, साल 1965 में कोचेन रिनपोचे के साथ-साथ तिब्बती, चीनी, जापानी और लद्दाखी कलाकारों ने जापानी वास्तु शैली में बनाया था।
इसमें करीब 500 लामा रहते हैं. यहां बहुत बड़ा महात्मा बुद्ध का मंदिर है जहां पर्यटक देश-विदेश से यहां आते हैं।
इसमें लगभग 107 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की समाधि स्थापित की हुई है।
वन अनुसंधान संस्थान राजधानी देहरादून में फिल्म मेकर्स को सबसे ज्यादा पसंद आती है वन अनुसंधान संस्थान की लोकेशन.फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की इमारत अंग्रेजों के जमाने में बनवाई गई थी।
दो हजार एकड़ में बनाए गए फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में आप खूबसूरत लोकेशन के साथ -साथ दुनियाभर की लकड़ियों को देख सकते हैं. यहां स्टूडेंट्स ऑफ द ईयर, सलामी जैसी कई फिल्मों की शूटिंग हुई है.
जॉर्ज एवरेस्ट का घर माउंट एवरेस्ट पर शोध करने वाले सर्वेयर एवं जियोग्राफर सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर मसूरी के लाइब्रेरी बाजार से करीब 6 किमी दूरी पर स्थित है।
इसे 1832 में बनवाया गया था. अब यहां सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला के रूप में यहां मौजूद है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
देहरादून का घंटाघर शहर की पहचान:
यह राजधानी में आकर्षण का केंद्र भी है. यह घण्टाघर ‘हार्ट ऑफ द सिटी’ कहा जाता है जिसे विशेष तरीके से बनवाया गया है।
इसके शीर्ष पर 6 घड़ियां होने से यह एशिया में अपनी तरह का दुर्लभ घंटाघर बताया जाता है।
देहरादून के न्यायाधीश और रईस बलबीर सिंह की मौत 22 सितंबर, 1936 को हुई थी और उनकी याद में उनके बेटे आनंद सिंह ने यह बलबीर क्लॉक टावर बनवाया था.
जिसका शिलान्यास तत्कालिक गवर्नर सरोजनी नायडू और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने 1953 में उद्घाटन किया था।
राजधानी देहरादून का बाल वनिता आश्रम:
अनाथ बच्चों को सहारा देने के लिए इस आश्रम को बनाने की पहल शुरू हुई 16 अक्टूबर 1926 में जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देहरादून आए.
उन्होंने इस आश्रम की आधारशिला रखी. यह आश्रम आज भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की निशानी के बतौर राजधानी देहरादून के तिलक रोड पर स्थित है।
जिसे देखने के लिए लोग यहां आते हैं और इन बच्चों से मिलकर भी बहुत खुश होते हैं।
देहरादून में खलंगा वार मेमोरियल:
राजधानी देहरादून में कई ऐतिहासिक की लड़ाइयां लड़ी गई उनमें से एक खलंगा वार भी था।
जिसमें 600 गोरखाओ ने ब्रिटिश सेना को धूल चटाई।
हरे-भरे जंगलों के बीच बसा खलंगा वार मेमोरियल देहरादून शहर से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर नालापानी में स्थित है।