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घी संक्रांति: उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व

"Ghee Sankranti: Famous folk festival celebrated with pomp in Uttarakhand"

उत्तराखंड, एक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर राज्य, अपने विविधता और परंपरागत संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ के पर्व और त्योहार राज्य की धरोहर को अद्वितीयता देते हैं, और उनमें से एक है “घी संक्रांति” जो उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
यह पर्व सूर्य के प्रकाशमान विकास को अंतर्दृष्टि से देखने और मानव-प्राकृतिक संबंध की महत्वपूर्णता को स्थायित करने का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।

महत्वपूर्ण दिन का संकेत: घी संक्रांति उत्तराखंड के विशेष पर्वों में से एक है जिसे स्थानीय लोग उत्साहपूर्वक मनाते हैं।

इस दिन सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे सिंह संक्रांति भी कहा जाता है। घी संक्रांति जिले में धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने घरों में मीठे पकवान बनाए।

इस दिन उत्तराखंड के लोग पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य देव की पूजा करते हैं और दान करते हैं।

यह परंपरा सूर्य के शक्तिशाली प्रकाश को प्राप्त करने की आवश्यकता को दर्शाती है और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

इस तरीके से, यह पर्व समाज के सामाजिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करता है।

घी संक्रांति का समय खेती और पशुपालन के लिए महत्वपूर्ण होता है। भादो महीने में अंकुरित फसलों की शुरुआत होती है, और यह समय उत्तराखंड के किसानों के लिए अच्छी फसल की कामना करने का भी होता है।

यह नहीं केवल एक पर्व है, बल्कि एक संकेत भी है जो मानव-प्राकृतिक संबंध को दर्शाता है। सूर्य का नया रुप संक्रांति के साथ आता है, और यह मनुष्य को उत्कृष्टतम रूप से प्रकाशित करने का एक उपयुक्त समय होता है।

घी संक्रांति उत्तराखंड की शानदार संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है, जो मानव-प्राकृतिक संबंध की महत्वपूर्णता को प्रस्तुत करता है।

इस दिन के माध्यम से लोग सूर्य के प्रकाशमान गुणों का समर्थन करते हैं, और अच्छी फसल की कामना करके अपने कृषि और पशुपालन क्षेत्र की उन्नति के प्रति समर्पित होते हैं।

यह एक ऐतिहासिक परंपरा है जिसका महत्व आज भी सजीव है और जिसके माध्यम से लोग अपनी संवादिक और आध्यात्मिक जरूरतों को समझते हैं।

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