दिल्ली

कांग्रेस-भाजपा की बाड़ेबंदी में पूरे विधायक नहीं पहुंचे, सीएम को नजदीकी ही आउट करवाएंगे

उदयपुर. नगर संवाददाता & राज्यसभा चुनाव में चौथी सीट पर जीत के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पूरा जोर लगा रही हैं। इस बीच भाजपा ने भी विधायकों को प्रशिक्षण देने के नाम पर अपने विधायकों को जयपुर के एक रिजॉर्ट में भेज दिया है। सोमवार शाम तक भाजपा के 6 विधायक नहीं पहुंचे थे। बीजेपी की ओर से कांग्रेस में सेंधमारी के दावे किए जा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि उनके संपर्क में कांग्रेस और निर्दलीय कई विधायक हैं। कटारिया के इस बयान ने राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी हैं।

कांग्रेसी खेमा ज्यादातर नाराज विधायकों को मना चुका है। इसके बावजूद अभी भी तीन विधायक नाराज चल रहे हैं और अपनी मांगों पर अड़े हैं। जहां तक निर्दलियों की बात है तो अब 13 निर्दलीय विधायकों में से 12 उदयपुर के 5 स्टार होटल पहुंच चुके हैं, जहां कांग्रेसी विधायकों को रखा गया है।

कांग्रेस-भाजपा की बाड़ेबंदी की स्थिति

कांग्रेस : खेरवाड़ा विधायक दयाराम परमार फिलहाल ताज अरावली में नहीं हैं। वहीं, श्रीमाधोपुर विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत और जैसलमेर के विधायक रूपाराम मेघवाल बीमार होने के चलते उदयपुर नहीं आए हैं। दिव्या मदरेणा और संयम लोढ़ा आज पहुंच चुके हैं। उदयपुर के फाइव स्टार होटल में बाड़ेबंदी को तीन दिन पूरे हो गए हैं।

भाजपा सोमवार से भाजपा विधायकों की भी जयपुर के पास जामडोली के फाइव स्टार होटल में बाड़ेबंदी शुरू हो रही है। भाजपा ने इसे ट्रेनिंग कैंप का नाम दिया है, सभी विधायक 10 जून तक यहीं रहेंगे।

कांग्रेस की मुश्किल निर्दलीय विधायक बलजीत, उनकी मांग- 75′ आरक्षण

बहरोड़ से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव बाड़ेबंदी में जाने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने वोट के बदले कांग्रेस के सामने शर्तें रखी हैं, जिन्हें पूरा किए बिना वोट देने से साफ इनकार कर दिया है। बलजीत यादव ने सबसे कड़ी शर्त रोजगार में राजस्थान के युवाओं का 75 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की है। निजी क्षेत्र के रोजगार में स्थानीय युवाओं का आरक्षण लागू करने से सरकार पहले ही इनकार कर चुकी है। इस कदम को एंटी इंडस्ट्री माना जाता है, जिसका सरकार जोखिम नहीं उठा सकती। ऐसे में इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है।

ट्राइबल पार्टी के विधायकों ने भी कांग्रेस के सामने रखीं शर्तें

बलजीत के अलावा भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के दो विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर ने भी समर्थन के बदले शर्तें रखी हैं। बीटीपी विधायकों ने आदिवासी इलाके से जुड़ी मांगों के अलावा कांकरी डूंगरी आंदोलन के मुकदमे वापस लेने की मांग रखी है। बीटीपी विधायकों ने कहा है कि आदिवासी हितों से जुड़ी मांगें पूरी करने पर ही समर्थन के बारे में सोचा जाएगा, फिलहाल वेट एंड वॉच का स्टैंड है। सीएम के नजदीकी नेता बीटीपी विधायकों को मनाने में जुटे हुए हैं।

भाजपा का दावा- जिन्हें सीएम अपना समझ रहे, वही आउट करेंगे

गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि हम दूसरी सीट जीतने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। सीएम बेवजह बहुमत की डींग मार रहे हैं। विधायकों को मुख्यमंत्री बुलाकर प्लेन में ले जाएं तो इसका मतलब यह नहीं समझना चाहिए कि उनकी नाराजगी दूर हो गई है। कांग्रेस और निर्दलीय विधायक महीने भर से हमारे संपर्क में हैं।

कटारिया ने काह कि इस बार बाड़े में बंद कांग्रेस विधायक ही सरकार पर मार करेंगे। ऐसे विधायकों के नाम बताने की गलती नहीं करुंगा। सरकार पुलिस के डंडे के जोर पर चुनाव जीतना चाहती है। विधायकों के आक्रोश से कांग्रेस पार्टी बुरी तरह भयभीत है। मुख्यमंत्री जिन्हें अपना मान रहे हैं, इस बार वही सरकार को आउट करने की स्थिति में आ रहे हैं।

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