रांची : झारखंड में स्थापित पावर प्लांटों से कुल क्षमता प्रतिदिन 4826 मेगावाट बिजली उत्पादित करने की है. फिलहाल, रोजाना 4246 मेगावाट बिजली उत्पादित भी हो रही है, लेकिन राज्य को इसमें से मात्र 1246 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है. शेष 3000 मेगावाट बिजली दिल्ली, पंजाब और केरल को चली जाती है.
इधर, बढ़ती गर्मी के बीच झारखंड में बिजली की मांग 2600 मेगावाट तक बढ़ गयी है, जिसमें से बमुश्किल 2200 से 2300 मेगावाट तक की ही आपूर्ति की जा रही है. ऐसे में लगातार लोड शेडिंग हो रही है. कुल मिलाकर झारखंड में ‘चिराग तले अंधेरा’ वाली स्थिति है.
झारखंड में डीवीसी के दो और टाटा पावर के दो पावर प्लांट हैं. डीवीसी से उत्पादित 2000 मेगावाट में 600 मेगावाट बिजली ही झारखंड को मिल पाती है. शेष बिजली दिल्ली और पंजाब को जाती है. टाटा पावर के जोजेबेड़ा से उत्पादित बिजली टाटा स्टील को मिलती है. वहीं, टाटा पावर व डीवीसी के संयुक्त उपक्रम मैथन पावर से 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है.
यह बिजली केरल, दिल्ली व पंजाब राज्यों को जाती है. लेकिन, झारखंड को नहीं मिलती, क्योंकि झारखंड के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट नहीं है. आधुनिक पावर से उत्पादित बिजली में 188 मेगावाट झारखंड को मिलती है. इनलैंड पावर से 63 मेगावाट बिजली झारखंड को मिलती है. वहीं, टीवीएनएल से 380 मेगावाट बिजली झारखंड को ही मिलती है.
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दो वर्षों में 5980 मेगावाट अतिरिक्त उत्पादन होगा
झारखंड में पतरातू में एनटीपीसी द्वारा पावर प्लांट का निर्माण किया जा रहा है. यहां 4000 मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट बन रहे हैं. वहीं, एनटीपीसी के ही नॉर्थ कर्णपुरा में 1980 मेगावाट का पावर प्लांट बन रहा है. पहली यूनिट 660 मेगावाट का काम पूरा हो चुका है. पर ट्रांसमिशन लाइन की वजह से यह चालू नहीं हो पा रहा है. जून से जुलाई माह में चालू होने की संभावना है.
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की पत्नी साक्षी भी झारखंड में बिजली की स्थिति से परेशान है. सोमवार को साक्षी ने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर पूछा कि एक टैक्स पेयर होने के नाते जानना चाहती हूं कि आखिर झारखंड में कई सालों से बिजली की स्थिति ऐसी क्यों है?