
अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व दिवाली 24 अक्टूबर 2022 को धूमधाम से मनाई जाएगी. पांच दिवसीय दीपोत्सव का आरंभ धनतेरस से हो जाता है।
यह त्योहार खुशियों की रोशनी लेकर आता है. घर-घर में मां लक्ष्मी के स्वागत और प्रभू श्रीराम के 14 साल के वनवास अयोध्या आगमन की खुशी में मिट्टी के दीप जलाए जाते हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि धनतेरस पर 3 दीपक जीवन के तमाम संकट दूर कर देते हैं।
पहला दीपक.
धनतेरस पर पहला दीपक यम के नाम जलाया जाता है. धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में करना उत्तम है इस दिन शाम को घर के बाहर 13 दीपक जलाने से मुख्य द्वार पर दो और बाकी आंगन में।
ये दीप नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को रोकते हैं. शास्त्रों के अनुसार यम के निमित्त दीपक परिवार के सदस्यों के सोते समय जलाने का विधान है. इसके लिए पुराना दीपक लें और सरसों के तेल से दीप प्रज्वलित करें।
अब दीपक को घर से बाहर कूढ़े के ढेर या नाली के पास दक्षिण की ओर मुख करके रख दें।
यह दिशा यम की मानी गई है. दीप रखते समय ये मंत्र बोलें – मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।’ कहते हैं इससे अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है और नर्क की यात्नाएं नहीं सहेनी पड़ती।
दूसरा दीपक.
शास्त्रों के अनुसार धन की समस्या, बीमारियों और बुरी शक्तियों से छुटकारा पाने के लिए दूसरा दीपक बहुत लाभकारी माना गया है।
इसे धनतेरस पर घर के बुजुर्ग पूरे पूरे घर में घुमाते हैं और फिर बाहर कहीं दूर रख दिया जाता है।
इस प्रक्रिया को घर के सदस्य देखते नहीं।
कहते हैं कि यह दीप घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा को अपने साथ ले जाता है और जीवन में फिर खुशियां लौट आती हैं।
तीसरा दीपक.
धनतेरस और दीपावली की रात घर के साथ-साथ रात में किसी मंदिर में भी गाय के घी का दीप जलाना चाहिए।
मान्यता है इससे आय में वृद्धि होती है और कर्ज का बोझ जल्द कम हो जाता है।