अंतराष्ट्रीय

चीन के चंगुल में फंसा श्रीलंका के बाद नेपाल कंगाल, पेट्रोल 41 रुपये लीटर महंगा, बिहार बना शॉपिंग ठिकाना

मधुबनी/सीतामढ़ी: बिहार के साथ बेटी-रोटी का रिश्ता रखने वाले नेपाल इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है। चीन के प्रभाव में फंसकर भारत का पड़ोसी श्रीलंका पहले ही कंगाल हो चुका है, अब नेपाल उसी राह पर अग्रसर है। पिछले 20-25 दिनों में नेपाल में महंगाई के सारे रेकॉर्ड ध्वस्त हो गए हैं। इसका सीधा असर बिहार पर हो रहा है। कुछ दिन पहले तक सस्ती खरीददारी के लिए बिहार के लोग नेपाल जा रहे थे अब मामला उलट हो गया है। भारी संख्या में नेपाल के लोग बिहार के सीमावर्ती इलाकों में आकर शॉपिंग कर रहे हैं। बिहार के सीमावर्ती जिलों में दुकानें चलाने वालों का कहना है कि पिछले 15-20 दिनों में नेपाल से आने वाले ग्राहकों की संख्या में तीन गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

नेपाल से बिहार के इन जिलों में शॉपिंग के लिए आ रहे लोग

बिहार के 7 जिलों की सीमा नेपाल के बॉर्डर से सटे हुए हैं। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मोतिहारी, सीतामढ़ी, मधुबनी, किशनगंज और सुपौल ऐसे जिले हैं जिनकी सीमा नेपाल से लगती है। हालांकि नेपाल के लोग मुख्य रूप से मधुबनी, जयनगर, सीतामढ़ी, रक्सौल इलाके में शॉपिंग के लिए आते हैं। पिछले 20-25 दिनों से बिहार के इन इलाकों में नेपाल से लोग बाइक या अन्य साधनों से आते हैं और रोजमर्रा की जरूरत के सामान की शॉपिंग कर चले जाते हैं।

नेपाल में क्या है आर्थिक संकट का कारण

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर पूरी दुनिया पर है। भारत के साथ नेपाल भी इससे अछूता नहीं है। भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी है इसलिए यहां की सरकार उसे झेल पा रही है। जबकि नेपाल छोटा देश है इसलिए वहां इसका प्रतिकूल असर दिख रहा है। युद्ध के चलते पेट्रोलियम उत्पाद का आयात शुल्क बढ़ने के चलते दवाइयों से लेकर खाने-पीने के सामान महंगे हो गए हैं। महंगे दर पर विदेशों से सामान आयात करने के चलते नेपाल की विदेशी मुद्रा भंडार में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसके अलावा कोविड की वजह से पर्यटन कारोबार को भी गहरा धक्का लगा है, जिसके चलते नेपाल में आर्थिक संकट के हालात बने हैं।

नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार क्यों घट गया?

नेपाल में इस वक्त विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी हो गई है। इस वजह से यहां की सरकार ने 10 सामानों के आयात पर रोक लगा दी है। ये वो 10 सामान हैं जिनपर नेपाल सरकार की सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च हो रहे थे। उदाहरण के तौर पर नेपाल सरकार ने पिछले 5 साल में करीब 100 करोड़ रुपये की ताश विदेशों से आयात किए हैं। नेपाल में ताश की भारी खपत है। पूरे नेपाल में जगह-जगह कैसिनों हैं। इसके अलावा दिवाली और दशहरा पर हर घर में ताश खेलने की परंपरा रही है। एक अनुमान के मुताबिक केवल दिवाली के मौके पर नेपाल ने करीब 9 करोड़ रुपये की ताश विदेशों से आयात की थी।

नेपाल ने विदेशी मुद्रा बचाने के लिए 10 सामानों के आयात पर लगाई रोक

नेपाल ने शराब और तंबाकू समेत कारों और अन्य मंहगे सामानों के आयात पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। इस पर्वतीय देश ने श्रीलंका जैसे हालात नहीं होने का भरोसा दिलाते हुए नकदी संकट और घटते विदेशी मुद्रा भंडार का हवाला देते हुए दो सार्वजनिक अवकाशों की भी घोषणा की है। नेपाल ने जुलाई 2021 के बाद से ही बढ़ते आयात, निवेश के प्रवाह में गिरावट और पर्यटन तथा निर्यात से कम आय के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखी है।

देश के केंद्रीय बैंक नेपाल राष्ट्र बैंक के डेप्युटी गवर्नर बम बहादुर मिश्रा ने कहा, ‘प्रतिबंध मंगलवार से प्रभावी हो गया है और जुलाई, 2022 के मध्य तक लागू रहेगा। इस आशय का एक नोटिस नेपाल के राजपत्र में भी प्रकाशित किया गया है। तेजी से घट रही विदेशी मुद्रा को रोकने के लिए कार, 250 सीसी से ऊपर की बाइक, 32 इंच से ऊपर के रंगीन टीवी, तंबाकू और शराब जैसी लग्जरी वस्तुओं का आयात फिलहाल रोक दिया गया है।’

  1. 250 CC से अधिक क्षमता के बाइक
  2. जीप, कार और वैन (एंबुलेंस पर प्रतिबंध नहीं है)
  3. 600 डॉलर से अधिक रेट के मोबाइल फोन
  4. विदेशी सिगरेट, तम्बाकू, गुटखा, पान मसाला (कच्चा माल लाने की छूट होगी)
  5. सभी प्रकार के विदेशी शराब
  6. कुरकुरे, लैज समेत इस प्रकार के अन्य रेडीमेड फूड आइटम
  7. हीरा (औद्योगिक कच्चा पदार्थ लाने की छूट दी गई है।)
  8. 32 इंच से बड़े सभी प्रकार के टेलीविजन सेट
  9. सभी प्रकार के खिलौने
  10. ताश की गड्डी के आयात पर भी प्रतिबंध

आसमान छू रहे हैं डेली यूज के सामान के रेट

पिछले 20-25 दिनों में नेपाल में डेली यूज के सामान के रेट में भारी उछाल हुआ है। नेपाल में इस वक्त 50 किलो आटे की बोरी 2200 रुपये में बिक रही है। वहीं चीनी 62 रुपये किलो तो सरसो तेल के 15 लीटर का टिन 3500 रुपये में मिल रहा है। रिफाइन तेल के रेट भी 233 रुपये लीटर और मैदा की 50 किलो की बोरी 1640 रुपये में मिल रहे हैं।

नेपाल में संकट तस्करों की मौज

नेपाल में जरूरत के सामानों के रेट बढ़ने से तस्करों की मौज हो गई है। बिहार और नेपाल दोनों जगहों के तस्कर ऐक्टिव हो गए हैं। तस्कर बिहार से सामान खरीदकर उसे नेपाल में मुनाफा लेकर बेच रहे हैं। भारत-नेपाल के बीच आवाजाही सामान्य होने के चलते इसे रोकना मुश्किल है। उदाहरण के तौर पर बिहार में चीनी 40 रुपये है और नेपाल में 62 से 65 रुपये किलो। ऐसे में तस्कर बिहार से चीनी खरीदकर नेपाल में 50 रुपये किलो भी बेचता है तो उसे प्रति किलो 50 रुपये का मुनाफा हो रहा है। नेपाल की जनता भी सस्ता के चक्कर में धड़ल्ले से तस्करों से सामान खरीद रहे हैं। इसके अलावा नेपाल सरकार ने जिन 10 सामानों के आयात पर रोक लगाई है तस्कर उन सामानों की ऊंची कीमत पर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं।

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