उत्तराखंड विधानसभा में वीवीआईपी लोगों के करीबियों को नौकरी देने के मामले ने इस बात को साबित किया है. चौंकाने वाली बात यह है कि अब नियुक्तियों में धांधली की चर्चाओं के बीच कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य का एक ऐसा पत्र वायरल हो रहा है।
जिसमें वह चार लोगों को नौकरी देने की सिफारिश कर रही हैं. वैसे तो यह पत्र साल 2020 का है, लेकिन इस समय इस पत्र का वायरल होना यह साबित कर रहा है ।
कि जिन मंत्रियों और रसूखदार लोगों ने नौकरियों के लिए अपने करीबियों को तरजीह दी है, उनसे जुड़े सभी नए और पुराने मामले हर स्तर पर उजागर किए जा रहे हैं।
पत्र में उत्तरकाशी निवासी सुरेंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह, पंकज रावत और आकाश राणा को नौकरी देने की सिफारिश (Cabinet Minister Rekha Arya letter) की गई है।
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पत्र में लिखा गया है कि संबंधित चार शिक्षित बेरोजगार लोगों को विभाग में जहां भी आवश्यकता हो उन्हें तत्काल समायोजित किया जाए।
मंत्री रेखा आर्य की तरफ से यह पत्र पशुपालन और मत्स्य विभाग के सचिव को भेजा गया है. मंत्रियों का कुछ लोगों को लेकर इस तरह का रवैया ही बेरोजगारों के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है।
बिना परीक्षाओं के ही नौकरी देने की इस परंपरा ने उन बेरोजगार युवाओं के लिए मुश्किलें बढ़ाई हैं जो सालों साल तक कोचिंग और ट्यूशन के साथ घर में घंटों पढ़ाई करके नौकरी पाने का सपना देखते हैं।
वही मंत्री रेखा आर्य बड़ी बेबाकी से कहती है मुझे पत्रकार आवेदन करें तो मैं उनके लिए भी पत्र लिख दूंगी लेकिन सवाल ये है की नौकरी के लिए क्या कोई पैमाना नहीं है।
चिट्ठी पर ही रोजगार जारी कराने का ये नेता काम क्यों कर रहे है फिर बड़ी डंके की चोट पर इसे स्वीकार भी कर रहे है।