सुर्ख़ियों में सोन पापड़ी क्योंकि आ गयी दिवाली : दिवाली की रौनक , फुलझड़ियों की रश्मि और ख़ास मिठाई की बहार जी हाँ एक बार फिर आपके पास आने वाली है वो जो कहलाती है सोनपापड़ी दरअसल इस त्यौहार पर सोन पापड़ी को लेकर लोगों में अलग ही राय रहती है। लें इस मिठाई से जुड़े अलग-अलग दावे किए जाते हैं. कहा जाता है कि इसका इतिहास महाराष्ट्र से जुड़ा है, लेकिन कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि सोन पापड़ी राजस्थान के शाही परिवार की रसोई से निकली और देशभर में फैली. जानिए क्या कहता है इतिहास।
दिवाली करीब आ रही है और इसके साथ ही बाजार में तरह-तरह की मिठाइयों की दुकानें सजने लगी हैं. खुशियों के इस त्योहार में मिठाइयों की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि लोग एक-दूसरे को बधाई देने के साथ ही मुंह मीठा कराते हैं. एक-दूसरे को मिठाइयां उपहार में भी देते हैं. इन सबके बीच जिस मिठाई की सबसे ज्यादा चर्चा होती है, वह है सोन पापड़ी. इसको लेकर सोशल मीडिया पर मीम्स भी छाने लगे हैं।
सोन पापड़ी को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं. कहा जाता है कि इसका इतिहास महाराष्ट्र से जड़ा है, लेकिन कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि सोन पापड़ी राजस्थान के शाही परिवार की रसोई से निकली और देशभर में फैली. एक दावा यह भी है कि यह महाराष्ट्र में पहली बार बनाई गई और फिर पूरे देश में फैल गई. आइए खोजी नारद की इस खबर में जान लेते हैं कि सोन पापड़ी बनाने की शुरुआत कहां से हुई और यह इतनी प्रसिद्ध कैसे हो गई?
भारत में मावा के साथ ही बेसन से भी खूब सारी मिठाइयां बनाई जाती रही हैं. यहां सोन पापड़ी का कोई पुष्ट इतिहास तो नहीं मिलता है. हालांकि, माना जाता है कि इसे बनाने की शुरुआत महाराष्ट्र और खासकर पश्चिमी महाराष्ट्र से हुई. तुर्की की एक खास तरह की मिठाई है पिस्मानिये. कुछ लोग मानते हैं कि सोन पापड़ी इसी से प्रेरित है. वैसे पिस्मानिये को बनाने के लिए बेसन के बजाय आटे का प्रयोग किया जाता है. पिस्मानियो को आटा, बटर, चीनी और पिस्ता से बनाया जाता है. सोन पापड़ी को बनाने के लिए सामान्य तौर पर भुना बेसन, चीनी और खरबूजे के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है।