सुब्रमण्यम स्वामी ने विश्वास व्यक्त किया कि राज्य सरकार अदालत में मुकदमा हार जाएगी।
स्वामी ने कहा कि विधान सभा से 228 तदर्थ कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त करने का निर्णय गलत था और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन था।
स्वामी ने कहा कि विधान सभा में तदर्थ आधार पर 2001 से 2015 तक पदों पर नियुक्त व्यक्तियों को नियमित किया गया था लेकिन 2016 से इसी तरह नियुक्त लोगों को बर्खास्त कर दिया गया।
यह कहते हुए कि यह मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट तक नहीं पहुंचा है, उन्होंने कहा कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की रणनीति बनाएंगे।
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हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बर्खास्त कर्मचारियों को उसी तरह बहाल करेंगे और नियमित करेंगे जैसे 2001 से 2015 तक नियुक्त किए गए तदर्थ कर्मचारियों को नियमित किया गया था।
अगर ऐसा नहीं किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि यह सरकार कोर्ट में हार जाएगी, उन्होंने कहा कि उन्होंने अब तक अदालत में लड़े सभी मामलों में जीत हासिल की है।
स्वामी ने कहा कि वह बर्खास्त किए गए 228 कर्मचारियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कदम उठाएंगे और न्याय मिलने तक इस मुद्दे को नहीं छोड़ेंगे।
स्वामी ने हाल ही में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि एक संस्थान में एक ही तरीके से नियुक्त कर्मचारियों के साथ अलग व्यवहार उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को उनकी नियुक्तियों के नियमों का उल्लंघन पाए जाने के बाद भी सेवा में बनाए रखा गया था, जबकि अन्य को उसी उल्लंघन के लिए सेवा से समाप्त कर दिया गया था, जो उचित प्रतीत नहीं होता है।