जोशीमठ में दिखा 6 फीट का गड्ढा , उत्तरकाशी के 30 घरों में दरारें: कहीं आपदा की आहट तो नहीं?
आज एक टीम इस गड्ढे की जांच करेगी.इस साल की शुरुआत में उत्तराखंड के चमोली जिले का जोशीमठ शहर चर्चाओं में रहा।
इसकी वजह यह रही कि जोशीमठ के लोगों को पलायन का दंश झेलना पड़ा. अपने-अपने घर छोड़कर राहत शिवरों, सामुदायिक केंद्रों इत्यादि जगह उन्हें शरण लेनी पड़ी।
आज भी जोशीमठ वासी यहीं पर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. इसकी वजह यह है कि घरों, होटलों और सड़कों में आई बड़ी-बड़ी दरार के बाद लोगों के पास राहत शिवरों में जाने शिवा और कोई चारा नहीं बचा था।
फरवरी महीने के अंत तक करीब 868 घरों और होटलों में दरारें आ गई थीं. कुछ घरों और होटलों को रेड मार्क कर पुलिस-प्रशासन ने उन पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया था।
प्रशासन का कहना था कि ये घर और होटल कभी भी गिर सकते हैं. इसलिए इन्हें ध्वस्त कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, मार्च से लेकर जून तक करीब चार महीने जोशीमठ में दरारों की गूंज थोड़ी कम हुई, सब कुछ शांत रहा, लेकिन कुछ दिनों पहले एक खेत में दिखे छह फीट गहरे गड्ढे ने एक बार फिर से लोगों को सकते में डाल दिया है।
जोशीमठ के सुनील वार्ड निवासी विनोद सकलानी ने बताया कि, “मुझे अपने घर के पास एक खेत में कम से कम छह फीट गहरा एक गड्ढा दिखा है।
गड्ढे को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे बारिश के कारण हुआ है. अब हमें डर लग रहा है कि अगर कहीं लगातार तेज बारिश हुई तो और भी गड्ढे न होने लगें।
अभी तक तो केवल घरों में दरारें आईं थीं, लेकिन अब जोशीमठ में गड्ढे भी होने लगे हैं. मैंने गड्ढे को पत्थर और मिट्टी से भर दिया है।
विनोद सकलानी ने बताया कि जोशीमठ के क्षतिग्रस्त घरों में धीरे-धीरे फिर से दरारें बढ़ रही हैं. बता दें विनोद सकलानी परिवार शहर का पहला परिवार था।
जिसने दो साल पहले अपने घर में दरारें देखी थीं. इस साल जनवरी के महीने में जोशीमठ के हालात और खराब हो गए।
विनोद सकलानी ने कहा, “मैं छह जनवरी से एक होटल में रह रहा हूं और घर के पास खेत में बंधे मवेशियों की देखभाल के लिए हर दिन अपने घर जाता हूं।
चमोली डीएम से मिले जोशीमठ वासी, रखी 11 सूत्री मांगें:
विनोद सकलानी की सूचना पर रविवार को स्थानीय अधिकारियों ने जिस स्थान पर गड्ढा हुआ था, वहां का दौरा किया।
आज एक स्पेशल टीम गड्ढे की बारीकी से जांच करेगी. बीते दिनों जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले स्थानीय निवासियों के एक समूह ने बारिश को देखते हुए चमोली डीएम हिमांशु खुराना से मुलाकात की थी।
इस दौरान उन्होंने अपनी 11 सूत्री मांगें डीएम को सौंपी थीं.मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया, पर हमारे प्रस्ताव को नजरअंदाज किया।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती के अनुसार, “जोशीमठ की स्थिरता के सवालों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए तीन जुलाई को हम लोग धरना देंगे।
बारिश के दिनों में आपदा से प्रभावित लोग डर के माहौल में अपने दिन और रात बिता रहे हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वासन भी दिया था, लेकिन दो महीनों से हालात जस के तस हैं।
अतुल सती ने कहा कि हमारी 11 सूत्रीय मांगों को पूरा करना तो दूर, बातचीत के हमारे प्रस्तावों को भी नजरअंदाज कर दिया गया।
वैज्ञानिकों की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करे सरकार- जोशीमठ वासी:
अतुल सती ने कहा कि जोशीमठ में आई दरारों के बाद वैज्ञानिकों ने भी जांच की थी. उनकी जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
अब सुनने में आ रहा है कि अधिकारियों ने हेलंग मारवाड़ी बाईपास का निर्माण कार्य फिर से शुरू कर दिया है, जो शहर के भविष्य के लिए घातक है।
इसको लेकर मजिस्ट्रेट कुमकुम जोशी को कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन का कोई जवाब नहीं दिया।
अधिक बारिश जोशीमठ के लिए खतरा, लोग रहें सावधान:
स्थानीय निवासियों का दावा है कि यह जोशीमठ के भूभाग की अस्थिरता के कारणों में से एक हो सकता है।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर वाईपी सुंदरियाल ने कहा कि इस समय मानसून जोरों पर है।
अत्यधिक वर्षा होने की स्थिति में यहां और समस्या बढ़ जाएगी, लोग अधिक सवाधानी बरतें. जो लोग राहत शिविर में हैं, वह बारिश तक शिविर में ही रहें. अपने घरों की ओर न जाएं।
सुनने में आ रहा है कि दिन में कुछ लोग राहत शिविर छोड़कर अपने घरों की ओर चले जाते हैं।