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1930, साइबर क्राइम के जरिए फाइनेंशियल धोखाधड़ी से बचाने को हेल्पलाइन नंबर की शुरुआत:

देशभर बढ़ती साइबर क्राइम के जरिए वित्तीय धोखाधड़ी को देखते हुए हेल्पलाइन नंबर 1930 शुरुआत हुई है।

इस हेल्पलाइन के नंबर के जरिए साइबर अपराधियों द्वारा फाइनेंशियल धोखाधड़ी के शिकार लोगों को बड़ी राहत मिलने जा रही है।

गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि सभी को मालूम है की तमाम फर्जी ऐप और वेबसाइट के जरिए साइबर क्रिमिनल, लोगों को “बेवकूफ” बनाकर करोड़ों की ठगी करते हैं।

कई गेमिंग एप के झांसे में आकर लोग लाखों रुपए गवा देते हैं।

देश के अलग-अलग हिस्सों इस तरह की बड़े पैमाने पर आ रही शिकायतों के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने डिजिटल तंत्र का सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए साइबर क्राइम पोर्टल और साइबर क्राइम निरोधक दस्ते का गठन किया।

इसके लिए राजधानी दिल्ली में हेड क्वार्टर भी बनाया गया है।

सीसीटीएनएस यानी क्रिमिनल एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स के जरिए हेड क्वार्टर को अब तक देश के 99% पुलिस थानों से सीधे जोड़ा जा चुका है।

सीसीटीएनएस नेशनल डेटाबेस में अब तक करीब 28 करोड़ 98 लाख मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

इसके अलावा सीसीटीएनएस पर करीब 12 करोड़ से ज्यादा शिकायतों का निपटारा किया गया है।

केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने पत्रिका को बताया कि इसकी खास बात यह है कि हेल्पलाइन नंबर 1930 पर बहुत सारी सुविधाओं के साथ कार्ड ब्लॉक करने से लेकर कई समस्याओं का 1 पॉइंट सलूशन दिया गया है।

इस हेल्पलाइन नंबर के जरिए फिलहाल एक करोड़ 33 लाख से अधिक लोगों से साइबर अपराधियों द्वारा झांसे में लेकर लूटे गए 235 करोड रुपए से ज्यादा की वसूली की जा चुकी है।

इस नंबर पर अपराध के 3 घंटे के अंदर फोन कर देने पर टास्क फोर्स द्वारा फौरी रिपोर्टिंग प्रणाली के तहत कार्रवाई की जाती है।

शिकायत मिलते ही संबंधित ऐप या शिकायतकर्ता कि पैसे जिस अकाउंट में गए हैं उसे फ्रीज करवा दिया जाता है।

अन्य बैंकों और संस्थानों के साथ बेहतर समन्वय के जरिए साइबर अपराधी लूटे गए पैसे इस्तेमाल नहीं कर पाता।

इसके अलावा तकनीकी सहायता के जरिए साइबर क्रिमिनल पकड़ा भी जाता है।

खास बात यह है कि अब तक टॉप 50 साइबर अटैक के मॉडस ऑपरेंडी पर एक एनालिटिकल रिपोर्ट मंत्रालय द्वारा तैयार की जा चुकी है।

इस रिपोर्ट के आधार पर नेशनल साइबर फॉरेंसिक लैबोरेट्री इन्वेस्टिगेशन के जरिए सभी राज्यों को 5 हजार से अधिक फॉरेंसिक सेवाएं भी दे रहा है।

इसके अलावा नफीस नाम की योजना के तहत एक करोड़ 580266 आपराधिक बैकग्राउंड वाले लोगों के फिंगरप्रिंट्स का डाटा तैयार किया जा चुका है।

इसके जरिए देशभर के थानों को अपराध रोकने और अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलेगी।

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