वर्क फ्रॉम होम होम कल्चर शुरू होने के बाद से घर में घंटों बैठे-बैठे ही सारा काम निपटाने की आदत की वजह से लोगों को कमर, गर्दन और पैरों में अक्सर दर्द की शिकायत देखने को मिल रही है।
वैसे यह दिक्कत ऑफिस (Office) में घंटों काम करने वाले लोगों में भी अक्सर देखी जाती रही है।
इस तरह के दर्द में दवा भी बहुत हद तक कारगर साबित नहीं हो पा रही है, जबकि कुछ खास तरह के योगा (Yoga) हैं, जिनसे लगातार अभ्यास से इस तरह के दर्द में आराम मिलने की बात कही जाती है।
आज हम आपको कुछ ऐसे ही योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके अभ्यास से आप भी कमर दर्द, पैरों में दर्द या गर्दन में दर्द होने की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
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कमर दर्द के लिए भुजंगासन.
अगर आपकी कमर में अक्सर दर्द की शिकायत होती है, तो इसके लिए मार्जरी आसन या भुजंगासन (Bhujangasana) योग का लगातार अभ्यास करना चाहिए।
इस आसन की मदद से छाती, कंधे, और पीठ की स्ट्रेंचिग करने के साथ-साथ मांसपेशियों पर बन रहे गैरज़रूरी तनाव को दूर करने में भी मदद मिल सकती ह।
बहुत देर तक एक ही जगह पर बैठ कर काम करने वाले अधिकतर लोगों में कमर दर्द की शिकायत अधिक देखी जाती है।
इस तरह की किसी भी दिक्कत होने पर अगर समय से ध्यान न दिया जाए तो इसकी वजह से चलने और उठने तक में भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
गर्दन में दर्द के लिए नौकासन, भुजंगासन.
लगातार कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करने वाले लोगों की गर्दन में अक्सर दर्द की शिकायत देखी जाती रही है. इसे कई बार सर्वाइकल (Neck pain) का दर्द भी माना जाता है।
सर्वाइकल की समस्या होने पर, लोगों को कुछ समय बाद सिर को इधर-उधर घुमाने में भी दिक्कत हो सकती है।
इससे छुटकारा पाने के लिए रोज़ नियमित रूप से उष्ट्रासन, नौकासन और भुजंगासन योग करना चाहिए।
कई तरह से शोधों में यह पता चला है कि नौ सप्ताह तक योग का अभ्यास करने से दर्द में आराम मिलता है और पीड़ित व्यक्ति अपने काम खुद करने लायक हो जाता है।
पैरों में दर्द के लिए वृक्षासन.
पैरों में दर्द की दिक्कत होने की वजह लगातार काम करने के कारण थकान या मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है. कुछ लोगों को अक्सर पैरों में गठिया रोग की वजह से भी इस तरह की दिक्कतें होती हैं।
विपरीतकरणी, पश्चिमोत्तानासन और वृक्षासन (Vrikshasana) जैसे योगों का रोज़ाना अभ्यास करने से इन दिक्कतों में आराम मिल सकता है।
ये सभी योग करने से पैरों में खून का फ्लो बढ़ता है और मांसपेशियों से अतिरिक्त दबाव भी कम होता है।