प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस में ऐसा क्या हुआ जिससे लोगों का फूटा गुस्सा, ‘जजिया’ टैक्स की आई याद
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) का बनारस बुधवार को अचानक सुर्खियों में आ गया। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर (Twitter) पर लोग मुगल काल में लगने वाले जजिया टैक्स (Jazia Tax) की दुहाई देने लगे। नौबत यहां तक आ गई कि कुछ घंटों के भीतर इस फैसले को वापस लेना पड़ा। पूरा बवाल वाराणसी के नमो घाट (Namo Ghat) को लेकर हुआ। नए-नवेले बने नमो घाट पर घूमने के लिए टिकट लगाया गया था। मंगलवार को यह फैसला अमल में आया था। इसके मुताबिक, नमो घाट पर 4 घंटे बिताने के लिए 10 रुपये का टिकट लगाया गया था। बात यही खत्म नहीं थी। टू-व्हीलर और कार पार्किंग के लिए अलग से शुल्क वसूलने का बंदोबस्त किया गया था। इसके विरोध में लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दर्ज की। मुगलों के जमाने के जजिया टैक्स का जिक्र किया जाने लगा। यहां जानते हैं कि आखिर मुगलों के जमाने का जजिया टैक्स क्या था और कैसे इस पूरे मामले की कड़ी इससे जुड़ गई।
क्या था जजिया टैक्स
जजिया एक प्रकार का धार्मिक टैक्स था। यह टैक्स गैर-मुस्लिमों से वसूला जाता था। मुगल शासकों के समय यह टैक्स लगता था। टैक्स की इस रकम को सैलरी, दान और पेंशन बांटने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। ऐसा भी कहा जाता है कि इस तरह की टैक्स की रकम को मुस्लिम शासकों के निजी खजानों में जमा किया जाता था। अपने शासन में अकबर ने जजिया को खत्म किया था। हालांकि, बाद में औरंगजेब ने दोबारा इसे वसूलना शुरू कर दिया था। सबसे पहले मुहम्मद बिन कासिम ने भारत में सिंध प्रांत के देवल में जजिया टैक्स लगाया था। दिल्ली सल्तनत में फिरोज तुगलक ऐसा टैक्स लगाने वाला पहला सुल्तान था। दरअसल, इस्लामी राज्य में सिर्फ मुस्लिमों को ही रहने की इजाजत थी। अगर कोई गैर-मुसलमान राज्य में रहना चाहे तो उसे जजिया टैक्स देना होता था।