मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने मंगलवार को मामले की सुनवाई की हैं।
मामले की जानकारी के मुताबिक रतनमणि डोभाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
इसमें कहा गया है कि हरिद्वार जिले में सिंचाई विभाग के तहत तीन सीवरेज परियोजनाओं के लिए बजट जारी किया गया था।
नाबार्ड द्वारा अनुमोदित परियोजना की लागत 2365 लाख रुपये है जबकि केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग परियोजना की लागत 2260 लाख रुपये है।
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याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत 695 लाख रुपये की सुभाषगढ़ सिंचाई नहर का भी निर्माण किया जाना है।
याचिका में कहा गया है कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बावजूद उक्त परियोजनाएं अधूरी हैं और अनुपचारित सीवेज को हरिद्वार में गंगा नदी में बहाया जा रहा है।
याचिकाकर्ता ने अदालत में दो परियोजनाओं के संबंध में जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है जिसमें कहा गया है कि परियोजनाओं में तत्कालीन इंजीनियरों और अन्य लोगों द्वारा अनियमितताएं की गई थीं।
मुख्य अभियंता की पूछताछ में इसकी पुष्टि हुई है।