अंतराष्ट्रीय

US आयोग की सिफारिश- भारत को ‘विशेष चिंता वाले देशों’ में करो शामिल, कई बार खारिज हो चुकी मांग

अमेरिकी कांग्रेस द्वारा गठित एक अर्ध-न्यायिक निकाय ने सोमवार को बाइडन प्रशासन से भारत, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और 11 अन्य देशों को धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति के संदर्भ में ‘विशेष चिंता वाले देश’ में शामिल करने की सिफारिश की। भारत ने पूर्व में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी निकाय ने केवल उस मामले पर अपने पूर्वाग्रहों द्वारा निर्देशित होने का चयन किया है, जिस पर उसे हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है।

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की सिफारिशें अमेरिकी सरकार पर बाध्यकारी नहीं हैं। यूएससीआईआरएफ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में जिन अन्य देशों को इसके लिए वर्गीकृत करने की सिफारिश की है उनमें बर्मा, इरीट्रिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, रूस, सऊदी अरब, सीरिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम शामिल हैं।

यूएससीआरएफ ने पिछले साल भी अमेरिकी सरकार को इसी तरह की सिफारिश की थी जिसे बाइडन प्रशासन ने स्वीकार नहीं किया था। भारत यूएससीआईआरएफ की रिपोर्टों को पूर्व में भी खारिज कर चुका है।

विदेश मंत्रालय ने पूर्व में कहा था, ‘हमारी सैद्धांतिक रुख यह है कि हम अपने नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों की स्थिति पर किसी विदेशी संस्था का कोई अधिकार नहीं देखते।’ विदेश मंत्रालय ने कहा था, ‘भारत में एक मजबूत सार्वजनिक विमर्श और संवैधानिक रूप से अनिवार्य संस्थान हैं जो धार्मिक स्वतंत्रता और कानून के शासन के संरक्षण की गारंटी देते हैं।’

पिछले साल इसके द्वारा की गई सिफारिशों में, पांच देशों – अफगानिस्तान, भारत, नाइजीरिया, सीरिया और वियतनाम – को अमेरिकी सरकार द्वारा विशेष चिंता वाले देश के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।

यूएससीआरएफ ने कहा, ‘2021 में, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति काफी खराब हुई। वर्ष के दौरान, भारत सरकार ने नीतियों के प्रचार और प्रवर्तन को बढ़ाया – जिसमें हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा देना शामिल है – जिसने मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।’

उसने कहा, ‘सरकार ने मौजूदा और नये कानूनों और देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति शत्रुतापूर्ण संरचनात्मक परिवर्तनों के उपयोग के माध्यम से राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर एक हिंदू राष्ट्र की अपनी वैचारिक दृष्टि को व्यवस्थित करना जारी रखा।’

1998 में अमेरिकी सरकार द्वारा स्थापित, यूएससीआईआरएफ की सिफारिशें विदेश विभाग पर गैर-बाध्यकारी हैं। परंपरागत रूप से, भारत यूएससीआईआरएफ के दृष्टिकोण को मान्यता नहीं देता है। एक दशक से अधिक समय से इसने यूएससीआईआरएफ के सदस्यों को वीजा देने से इनकार किया है।

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