अंकारा: रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Missile System) की खरीद को लेकर तुर्की (S-400 Turkey) की जलन अब सामने आ गई है। तुर्की ने आरोप लगाया है कि रूस से एस-400 की खरीद को लेकर अमेरिका (US Sanctions for Buying S-400) अलग-अलग नीतियां बना रहा है। तुर्की के रक्षा मंत्री हुलुसी अकार ने कहा कि रूस से मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर अमेरिका की नीतियां समान नहीं हैं। दरअसल, उनका इशारा भारत (S 400 india) की तरफ था। भारत को रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम (S-400 Missile System India Delivery) की दो रेजीमेंट मिल चुकी हैं। रूस ने इसके स्पेयर पार्ट्स (S-400 Missile System Price) की डिलीवरी भी शुरू कर दी है। इसके बावजूद अमेरिका ने अभी तक प्रतिबंधो का पिटारा नहीं खोला है।
एस-400 खरीदने पर अमेरिका ने तुर्की पर लगाया था प्रतिबंध
तुर्की ने भी 2019 में रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद की थी। लेकिन, अमेरिका ने तुरंत ही तुर्की के ऊपर प्रतिबंधों की बरसात कर दी थी। अमेरिका ने तुर्की के प्रेसीडेंसी ऑफ डिफेंस इंडस्ट्री के के अध्यक्ष इस्माइल, दिमीर, उपाध्यक्ष फारूक यिगित समेत कई अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध समेत कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे। इतना ही नहीं, तुर्की के रक्षा उद्योग और कई बड़े हथियारों के पुर्जों की खरीद पर पाबंदी लगा दी थी। इस कारण तुर्की के रक्षा उद्योग को भारी नुकसान भी पहुंचा था। अब तुर्की को इस बात की जलन हो रही है कि अमेरिका ने भारत के खिलाफ प्रतिबंध क्यों नहीं लगाए हैं।
भारत और तुर्की की परिस्थिति अलग-अलग
रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर भारत और तुर्की की परिस्थिति समान नहीं है। तुर्की रूस के कट्टर दुश्मन सैन्य संगठन नाटो का प्रमुख सदस्य है। तुर्की की वायु सेना में अमेरिकी एफ-16 लड़ाकू विमान सहित कई हथियार शामिल हैं। तुर्की को भारत की तरह अपने पड़ोसी देशों के हमले का खतरा नहीं है। तुर्की के पड़ोसी देशों के पास इतना खतरनाक मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी नहीं है। दूसरा, तुर्की ने रूसी एस-400 के रडार से अमेरिकी एफ-16 को ट्रैक किया था। इस बात को लेकर अमेरिका काफी नाराज हुआ था।
एस-400 खरीदने पर भारत का तर्क मजबूत
भारत और रूस के संबंध कई दशकों पुराने हैं। रक्षा उपकरणों को लेकर भी भारत पूरी तरह से रूस पर निर्भर रहा है। इस समय भारत दो फ्रंट पर दुश्मन देशों की आक्रामकता का सामना कर रहा है। इसमें से चीन काफी ज्यादा शक्तिशाली है, जिसके पास पहले से ही रूस का एस-400 मिसाइल सिस्टम है। दूसरा, चीन ने इसी तरह का घरेलू सिस्टम एचक्यू-9 भी विकसित किया है, जिसे पाकिस्तान को भी दिया गया है। ऐसे में भारत को इसकी काट खोजने और अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए दुनिया का सबसे अडवांस डिफेंस सिस्टम एस-400 लेना जरूरी था।
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रूस ने सौंपी एस-400 की दूसरी रेजीमेंट
भारत और रूस ने 2016 में एस-400 मिसाइल सिस्टम की डील को साइन किया था। 5.43 बिलियन डॉलर की इस डील को लेकर अमेरिका ने कई बार प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी थी। इसके बावजूद भारत अड़ा रहा और रूस ने पिछले साल एस-400 की डिलीवरी भी शुरू कर दी थी। रूस ने अपने एस-400 और एस-300 मिसाइल सिस्टम को और घातक बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस सिस्टम में रूस नई तरह की कई मिसाइलों को शामिल करने जा रहा है जो दुश्मन के किसी भी मिसाइल को मार गिराने में सक्षम होंगी।