नई दिल्ली : विपक्षशासित राज्यों पर जनता को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत नहीं देने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों पर विपक्ष लाल है। प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए विपक्ष अब केंद्र से पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर सेस घटाने के साथ-साथ राज्यों को उनके बकाए टैक्स हिस्सेदारी की भुगतान की मांग की मांग कर रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने और सारी कमियों का ठीकरा राज्यों के सिर पर फोड़ने का आरोप लगाया है।
मोदी का संघवाद सहयोग वाला नहीं, पीड़ा देने वाला : राहुल गांधी
राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट कर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। उन्होंने लिखा, ‘ईंधन की ऊंची कीमतें- राज्यों को दोष दो। कोयले की कमी- राज्यों को दोष दो। ऑक्सिजन की कमी- राज्यों को दोष दो। ईंधन पर लगने वाले कुल टैक्स का 68 प्रतिशत केंद्र के पास जाता है। इसके बाद भी पीएम अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं। मोदी का संघवाद कोऑपरेटिव नहीं है। ये पीड़ा देने वाला है।’
क्या है मामला?
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना के हालात को लेकर बुधवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने वैश्विक संकट का हवाला देते हुए सभी राज्यों को को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म की भावना के साथ काम करने की अपील की। पीएम मोदी ने कहा कि पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों का आम आदमी पर बोझ कम करने के लिए केंद्र सरकार ने उत्पाद कर में पिछले नवंबर में कमी की थी और राज्यों से भी आग्रह किया गया था कि वे अपने यहां टैक्स कम करें और जनता को इसका लाभ दें। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट में कटौती नहीं की। उन्होंने कहा कि दरों में कटौती ना करने से इन राज्यों के पड़ोसी राज्यों को भी नुकसान पहुंचता है।
केंद्र पर हमारा 97000 करोड़ बकाया… पीएम की गुजारिश से भड़कीं ममता
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने की पीएम मोदी की अपील पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पीएम पर आरोप लगाया कि मीटिंग में मुख्यमंत्रियों को बोलने नहीं दिया गया और एकतरफा बातें करके भ्रम फैलाया गया। ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर सब्सिडी देने के लिए पिछले तीन वर्षों में 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह से एकतरफा और गुमराह करने वाला भाषण दिया। उनके तथ्य गलत थे। हम पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर एक रुपये की सब्सिडी मुहैया कर रहे हैं। हमने इस पर 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।’ ममता बनर्जी ने कहा कि हमारी सरकार को 1.5 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आपने इस पर कुछ नहीं कहा। आप पर हमारा 97,000 करोड़ रुपये बकाया है। अभी भारत सरकार पेट्रोल पर पश्चिम बंगाल सरकार की तुलना में 25% अधिक टैक्स लगा रही है।
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पेट्रोल-डीजल पर सेस खत्म करे केंद्र : केटीआर
राज्यों से ईंधन पर टैक्स घटाने की अपील पर तेलंगाना सरकार ने भी केंद्र की आलोचना की है। राज्य के उद्योग और वाणिज्य मंत्री केटी रामा राव ने केंद्र सरकार से देशभर में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले सेस को खत्म करने की मांग की है। टीआरएस नेता ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। केंद्र को नॉन परफॉर्मिंग एसेट बताते हुए राव ने कहा कि कीमतें एनपीए केंद्र सरकार की वजह से बढ़ी हैं। हमने कभी वैट नहीं बढ़ाया लेकिन हमारा नाम लिया जा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या यही कोऑपरेटिव फेडरलिज्म है जिसके बारे में नरेंद्र मोदीजी बात कर रहे हैं?
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर सबसे ज्यादा केंद्र ने कमाया: अशोक गहलोत
देश में अगर कोई राज्य पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाया है, वह है राजस्थान। राज्य ने पेट्रोल पर 30 प्रतिशत और डीजल पर 22 प्रतिशत टैक्स लगाया है। लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने की प्रधानमंत्री की गुजारिश पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने केंद्र पर पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाकर देश के इतिहस में सबसे ज्यादा राजस्व कमाने का आरोप लगाया।
‘यूपीए के वक्त जब क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल था तब पेट्रोल 70 रुपये का था’
गहलोत ने कहा, ‘केंद्र ने पिछले 8 वर्षो में उत्पाद शुल्क से लगभग 26 लाख करोड़ रुपये कमाए, जो कि पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाकर देश के इतिहास में किसी भी सरकार की तरफ से वसूली गई सबसे अधिक राशि है। यूपीए युग की तुलना में कच्चे तेल की कम कीमतों के बावजूद, मौजूदा शासन में पेट्रोल 110 रुपये प्रति लीटर से अधिक और डीजल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक पर बेचा जा रहा है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी, लेकिन आम आदमी के हित को देखते हुए पेट्रोल की कीमत 70 रुपये प्रति लीटर और डीजल 50 रुपये प्रति लीटर से अधिक नहीं थी।’