Earthquake : भूकंप आने से पहले कुछ प्राकृतिक परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं। प्रकृति हमें आगाह करती है लेकिन हम इसपर ध्यान नहीं देते।
भूकंप आने से पहले अचानक गर्मी बढ़ जाती है और हवा रुक जाती है। इसका पता कुत्तों को चिडियों को सांप को और चूहों को पता चल जाता है।
जानकारी के अनुसार,, भूकंप, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के आने के पूर्व संकेतों का उल्लेख मिलता है। वैसे विनाशकारी भूकंप की भविष्यवाणी तो कोेई नहीं कर सकता, लेकिन प्रकृति इसके संकेत पहले से ही देने लगती है और हम उसपर ध्यान नहीं देते हैं।
भूकंप आने से कई दिन पहले चूहे, नेवला, सांप और सेंटीपीड कथित तौर पर अपने घरों को छोड़कर सुरक्षा के लिए भागने लगते हैं।
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भूकंप की जानकारी जानवरों, मछलियों, पक्षियों, सरीसृपों, और कीड़ों के पहले हो जाती है और वे सामान्य से अलग व्यवहार करने लगते हैं।
कुत्ते अजीब तरह से भूंकने लगते हैं और पक्षी की चहचहाहट भी अलग तरह की हो जाती है। वे अपना घोंसला छोड़कर जहां-तहां उड़ने लगती हैं।
इस तरह कई तरह के संकेत हैं जिससे भूकंप के पहले की जानकारी मिल सकती है।
भूकंप से पहले मिलते हैं ये संकेत
प्राकृतिक आपदाओं की तरह भूकंप के भी आने के कुछ पूर्व संकेत हमें मिलने लगते हैं। लेकिन आम इंसान इन संकेतों पर ध्यान नहीं देता और उन्हें समझ नहीं पाता है।
ये संकेत अलग-अलग तरह से हमारे सामने आते हैं। जैसे कि वातावरण में तापमान का अचानक बढ़ जाना, मौसम में अचानक बदलाव आ जाना।
भूकंप आने से पहले कुएं का पानी बढ़ने या घटने लगता है। 20 घंटे पहले रेडियो सिग्नल में खराबी आने लगती है। टीवी सिग्नल में भी खराबी आने लगती है। उसके ऑडियो विजुएल स्पेक्ट्रम में खराबी आ जाती है। मोबाइल के सिग्नल में भी खराबी आ जाती है।
जानवरों को पहले हो जाती है भूकंप की खबर
भूकंप का एहसास जानवरों को पहले ही हो जाता है। वे चीखने चिल्लाने लगते हैं। सांप और चूहों को इसका आभास सबसे पहले हो जाता है।
उसके बाद कुत्तों को भी इसका पता चल जाता है और वे उस जगह को छोड़ देते हैं जहां भूकंप आने वाला होता है।
फिर पक्षियों को भूकंप आने का एहसास हो जाता है और वे अलग तरह की आवाजें निकालने लगते हैं और चहकने लगते हैं।
वे दूसरे पक्षियों को इसके लिए आगाह करते हैं। भूकंप आने से पहले आसमान मे अजीब तरह का उजाला दिखने लगता है जिसे अर्थक्वेक लाइट भी कहते हैं।
हम अगर इन संकेतों पर ध्यान देंगे तो कुछ हद तक भूकंप से कम नुकसान होगा। इसे लेकर भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती लेकिन इसे लेकर अलर्ट जरूर रहा जा सकता है।
इसके साथ ही भूकंप वाले क्षेत्र में भूगर्भ से हीलियम गैस का रिसाव बढ़ जाता है। इससे एक-दो दिन पहले भूकंप का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इसके अलावा अचानक जलस्तर घट या बढ़ जाता है। नालों से पानी अचानक गायब हो जाएगा या फिर बहुत अधिक बढ़ जाएगा।
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ दिन तो दूर कुछ घंटों पहले भी भूकंप की भविष्यवाणी संभव नहीं है।
ग्रहों के कारण आते हैं भूकंप
भारत के प्राचीन गणितज्ञ वराह मिहिर के अनुसार भूकंप आने के कई कारण है जिसमें से एक वायुवेग तथा पृथ्वी के धरातल का आपस में टकराना है, लेकिन भूकंप कब आएगा इसके कई संकेत होते हैं।
जब भी कोई ग्रहण पड़ता है या आने वाला रहता है तो उस ग्रहण के 40 दिन पूर्व तथा 40 दिन बाद अर्थात उक्त ग्रहण के 80 दिन के अंतराल में भूकंप कभी भी आ सकता है।
विशेष स्थिति जैसे आकाश में जब मंगल व शनि ग्रह एक-दूसरे के 180 डिग्री की दूरी पर हो या बृहस्पति ग्रह वृषभ अथवा वृश्चिक राशि में होकर बुध से संयोग कर रहा हो या उसके समानांतर हो तो भूकंप आने की संभावना रहती है।
इसी तरह जब नेपच्यून यूरेनस को बृहस्पिति की दृष्टि से प्रभावित कर रहा हो तो भी भूकंप आने के संकेत है।
ग्रहण के अलावा यूरेनस, प्लूटो, नेपच्यून, शनि, मंगल तथा बृहस्पति ग्रहों की विशेष स्थितियां धरती के जिस भी क्षेत्र में होती है उस क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना होती है।
खास कर हिमालय के आसपास के क्षेत्र में भूकंप अधिक आते हैं। अधिकतर मौके पर भूकंप दिन के 12 बजे से लेकर सूर्यास्त तक और मध्य रात्रि से सूर्योदय के बीच ही आते हैं।