खोजी नारद। उत्तराखंड से कोई बीजेपी नेता दिल्ली में जमाती किराएदार बन ट्वीटर और फेसबुक पर टोपियों पर राजनीति को हवा देने के लिए अपनी उपस्थिति की आतुरता करता रहता है। कभी अपनी पार्टी के उत्तराखंड पूर्व स्थापित जिल्लेईलाही पर शब्दे तरकश की तीर चला, वीर बनने की फिराक में बना रहता था। ऐसे नेता सोशल मीडिया में खासे आम चर्चा में अपना पर्चा स्थापित करने के लिए राजनैतिक खर्च को शब्दो के रूप में वर्तमान में भी चलाने की जद्दओजहद में है।
आज उनका इस राज्य के 2 जिल्लेईलाही बदलने के बाद युवा साहिबे मसनद पर तरकश के तीर खाली होकर, अपने खत्म तीरों को फिर से टोपियों के माध्यम से जिंदा करने के प्रयास करने की आतुरता कर रहे है।
हम बात इस राज्य के कांग्रेस के नेता ही नही, हर दिल के सरताज़ हरीश रावत के बयान की कर रहे है जिन्होंने कल बीजेपी के नेताओ की टोपियों पर छायाचित्र अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर सभी को इंगित अपनी अभिवयक्ति व्यक्त करी।
उनकी इस पोस्ट पर कुछ बीजेपी के दिल्ली में जमाती किराएदार नेता सक्रिय होकर खुद को ट्रोल करवाने के लिए मौका कहाँ छोड़ने वाले थे और उन्होंने इस मौके का लाभ आज फिर से उठा भी लिया।
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जब इस पूरे प्रकरण पर खोजी नारद ने इस नेता जी के राजनैतिक बयान का लब्बोलुआब जाना तो हँसी सी आ गयी ।
बीजेपी के लश्कर के मुक़ाबिल कांग्रेस का अकेले टस्कर का विडियो जरूर देखे :
चार लाइन खोजी नारद की, टोपी पर राजनैतिक बयान देने वाले नेता पर तत्काल लिखी जानी स्वाभाविक थी:-
कश्ती है पुरानी मगर दरिया बदल गया
मेरी तलाश का भी तो जरिया बदल गया..
न शक्ल बदली न ही बदला मेरा किरदार
बस लोगों के देखने का नजरिया बदल गया..
कभी पूरी बीजेपी मिलकर भी 2016 में हर बल से प्रयास कर जनप्रिय नेता हरीश रावत का कुछ ना बिगाड़ पाई और आज उनके पोस्ट किए गए बयान और छायाचित्र पर बीजेपी के नेता खुद को ट्रोल करने लिए हरीश रावत का ही सहारा ले रहे है यही दुर्भाग्य है बीजेपी का, बिना कांग्रेस के पूरी पार्टी और उनके पास बोलने का मुद्दा भी कांग्रेस के जनप्रिय नेता हरीश रावत ही है।
2022 में होने वाले चुनावो में हरीश रावत हॉट टॉपिक साबित होंगे बीजेपी के भी और अपनी पार्टी में विरोधियों के भी, क्योंकि मुद्दाविहीन पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी स्वयं में अपनी ही पार्टी के पूर्व जिल्लेईलाही को सवालों में, बयानों के कटघरे में खड़ा करने का कोई भी मौका नही चूके है, ऐसे में इसका फायदा लेने की कवायद उन्होंने आज विपक्षी पार्टी के नेता की टोपियों से की है।
ऐसे में हरीश रावत की तरफ से :
राह में ख़तरे भी हैं,
तेरे लश्कर के मुक़ाबिल मैं अकेला हूँ मगर
तेरे लश्कर के मुक़ाबिल मैं अकेला हूँ मगर
फ़ैसला मैदान में होगा कि मरता कौन है..