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उत्तराखंड में निकाय चुनाव का खेल!

"An eye is being fixed on the dates of civic elections in Uttarakhand"

उत्तराखंड में नगर निकायों का कार्यकाल दो दिसंबर को खत्म होने जा रहा है, और इसके साथ ही निकाय चुनावों के आयोजन की तैयारियों की धड़कन तेज हो गई है।

राजनीतिक दल भी कसरत में जुटने लगे हैं, लेकिन जिस तरह से तैयारियां हैं, उससे लगता नहीं कि चुनाव तब तक हो पाएं।

जानकारी के अनुसार, इस समय, शहरी विकास विभाग ने अब तक निकायों के परिसीमन को ही अंतिम रूप देने में समय लगा दिया है, और ओबीसी (अदर बैकवर्ड क्लास) सर्वेक्षण का पूरा होने में भी देरी हो रही है।

मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण भी अब तक पूरा नहीं हुआ है। इसका मतलब है कि चुनाव की तय हो रही तारीखों पर पुर्नर्विचार की दशा में निकायों को छह महीने के लिए प्रशासकों के हवाले करने की संभावना है।

प्रदेश में पिछले निकाय चुनाव 2018 में हुए थे, जब 20 अक्टूबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई थी, और 18 नवंबर को मतदान हुआ था।

निकायों का कार्यकाल पहली बैठक से ही शुरू हो गया था, जैसे कि निकाय अधिनियम के अनुसार होता है।

अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले या 15 दिन बाद में चुनाव कराए जा सकते हैं।

इस बार, जबकि निकायों का कार्यकाल खत्म होने की ओर अग्रसर है, उनके चुनावों के आयोजन को लेकर कसरत प्रारंभ हो गई है, लेकिन यह कार्य धीमी गति से हो रहा है।

राज्य में वर्तमान में 110 नगर निकाय हैं, और सात निकायों को हाल ही में अधिसूचित किया गया है, जिनमें निकाय चुनावों का आयोजन हो सकता है।

बाकी 103 निकायों में से कुछ को अभी तक चुनाव कराने की तय हो चुकी है, और इनमें से कुछ के कार्यकाल अगले वर्ष पूर्ण होने के कारण चुनाव बाद में होने की संभावना है।

जब तक सभी तैयारियों को पूरा किया नहीं जाता, निकाय चुनावों की तय हो रही तारीखों पर चुनाव कराना कठिन हो सकता है।

इसके अलावा, लोकसभा चुनाव के बीच का समय भी महत्वपूर्ण होगा, और ऐसे में निकाय चुनावों को आगे खिसकाना तय माना जा रहा है।

इस समय, सभी प्रक्रियाओं के अनुसार, चुनाव की तय हो रही तारीखों पर चुनाव आयोजन की तारीखें तय करने के लिए अधिकारियों के पास 75 दिन का समय है, लेकिन तय तारीखों पर चुनाव कराना कठिन हो सकता है।

तब तक लोकसभा चुनाव की रणभेरी भी बज उठेगी। ऐसे में निकाय चुनावों का आगे खिसकना तय माना जा रहा है। यद्यपि, इस बारे में अभी कुछ भी बोलने से अधिकारी बच रहे हैं।

निकायों की ओबीसी वास्तविक संख्या को लेकर एकल समर्पित आयोग भी काम कर रहा है, और इसकी रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है।

आरक्षण की तय होने में अभी कुछ वक्त लग सकता है। इसी बीच, मतदाता सूचियों की तैयारी में भी तीन महीने की अवश्यकता है, जिसका मतलब है कि दिसंबर के आखिर या जनवरी के बीच ही मतदाता सूचियां तैयार हो सकती हैं।

 

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