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सरकार का विकास जो ग्रामीणों को मुंह चिढ़ाता है,,प्रदेश के कुछ इलाकों में मरीजों को 4 किलोमीटर डोली से लेजाने के लिए मजबूर हैं ग्रामीण..?

Poor health systems in the hilly areas of Uttarakhand: No roads, lives in danger.

 उतराखंड : प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाएं किसी से छुपी नहीं है इसमें सबसे बुरा प्रभाव पड़ता है सड़क ना होने से ताजा मामला देवाल के दूरस्थ गांव बलाण का है।

जहां 38 वर्षीय अनीषा देवी पत्नी भूपाल सिंह को ग्रामीणों ने डोली में बैठाकर चार किलोमीटर पैदल टूटे कच्चे रास्ते से मोटर मार्ग तक पहुंचाया।

यह मामला अकेला नहीं है। देवप्रयाग विधानसभा के डागर पट्टी के गवाणा गाँव में भी पिछले तीन साल से रोड का काम शुरू हुआ था, लेकिन अभी तक रोड का कोई अता पता नहीं है। ग्रामीणों को इस स्थिति में गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सवाल यह उठता है कि धामी सरकार इसमें कोई एक्शन लेगी या नहीं? या देवप्रयाग विधानसभा के विधायक जी..?

दूसरी ओर पांच दिनों से बंद पड़े मोटर मार्ग के कारण 10 गांवों में आवश्यक सामग्री का संकट पैदा हो गया है। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से मार्ग खोलने की मांग की है।

ग्रामीणों ने बताया कि इस हाईटेक युग में भी गांव तक मोटर मार्ग की सुविधा नहीं है। जो है उस पर भी काली ताल के समीप बोल्डर आए पांच दिन हो गए हैं।

पीएमजीएसवाई को शिकायत करने के बाद भी रोड को नहीं खोला गया है। बताया कि कुछ दिन पहले अनीषा देबी ने एक नवजात शिशु को जन्म दिया है।

सोमवार सुबह उसकी तबीयत खराब हो गई। मार्ग बंद होने के कारण गांव के लोगों ने डोली में बिठाकर किसी तरह उसे खैर बैंड तक पहुंचाया।

यहां से उसे इलाज के लिए देवाल स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। देवाल क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि पिछले पांच दिन से हो रही बारिश से जहां क्षेत्र की मुख्य सड़के बदहाल हैं।

वहीं देवाल खेता और घेस वलाण मोटर मार्ग पर अलग-अलग स्थानों पर भूस्खलन और बोल्डर आने से पांच दिनों से यातायात के लिए ठप है ।

जिससे घाटी के 10 गांव में आवश्यक सामग्री नहीं पहुंच है। देबाल खेता मोटर मार्ग के सयालकोट में लगातार ऊपर से मलबा आने से लोगों को मजबूरी में दो किलोमीटर खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ रही है।

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