वक्फ संशोधन कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला :- क्या वक्फ कानून 2025 रद्द हो गया है, क्या सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की बात मानी या केंद्र सरकार की, सच ये है कि कोर्ट ने पूरे कानून को रद्द नहीं किया, लेकिन कई विवादित प्रावधानों पर रोक जरूर लगाई है, आइए जानते हैं, किसे राहत मिली और किसे झटका, क्या है वक्फ संशोधन कानून 2025 , केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल 2025 को वक्फ संशोधन अधिनियम लागू किया था।
जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और प्रशासनिक नियंत्रण बढ़ाना बताया गया था, लेकिन इस कानून पर कई मुस्लिम संगठनों और नागरिक समूहों ने सवाल उठाए, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, और अब कोर्ट ने मध्य मार्ग निकाला है, किन प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ प्रावधानों को आंशिक या पूरी तरह से रोका है, सेक्शन थ्री R, जिसमें कहा गया था कि कोई व्यक्ति तभी वक्फ संपत्ति बना सकता है जब वो पिछले पाँच सालों से मुस्लिम हो, कोर्ट ने इस शर्त पर अस्थायी रोक लगा दी है।
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सेक्शन थ्री C टू, अब वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए कलेक्टर की रिपोर्ट का इंतज़ार जरूरी नहीं है, सेक्शन थ्री C थ्री और फोर, इन धाराओं के तहत अधिकारियों को जमीन को सरकारी घोषित करने और रिकॉर्ड में बदलाव करने का अधिकार दिया गया था, कोर्ट ने इसे भी रोका है, सेक्शन 09 और 14 , गैर मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में एंट्री को लेकर कोर्ट ने सीमा तय कर दी, सिर्फ चार गैर मुस्लिम सेंट्रल वक्फ बोर्ड में, और तीन स्टेट वक्फ बोर्ड में रखे जा सकेंगे।
सेक्शन 23 , कोर्ट ने निर्देश दिया कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड का CEO मुस्लिम ही होना चाहिए, कहां केंद्र सरकार की दलीलें सही मानी गईं, कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों को वैध माना है, सेक्शन थ्री R, कोई भी संपत्ति वक्फ तभी हो सकती है जब स्वामित्व उस व्यक्ति के पास हो, कोर्ट ने इसे उचित और कानूनी ठहराया, वक्फ बाय यूजर का कॉन्सेप्ट, कोर्ट ने इसे गलत माना और कहा कि इसका दुरुपयोग होता है, इसलिए इस पर रोक जारी रहेगी, सरकारी जमीन, स्मारक या ट्राइबल लैंड को वक्फ नहीं बनाया जा सकता।
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कोर्ट ने इसे पूरी तरह से स्वीकार किया है, सेक्शन छत्तीस, हर वक्फ को पंजीकृत करना होगा, और वक्फ के लिए लिखित दस्तावेज जरूरी होगा, कोर्ट ने इसे भी सही ठहराया, सेक्शन 43 और 44 , गैर मुस्लिम वक्फ नहीं बना सकते, और वक्फ से जुडे मामलों पर लिमिटेशन एक्ट समयसीमा कानून लागू रहेगा, कोर्ट ने इसे भी बरकरार रखा, सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला पूरी तरह से संविधानिक संतुलन पर आधारित है, जहां एक तरफ धार्मिक अधिकारों की रक्षा की गई।
वहीं दूसरी तरफ सरकार की न्यायसंगत निगरानी को भी सही ठहराया गया है, यह अंतरिम आदेश है, और फाइनल सुनवाई अभी आगे होगी, लेकिन फिलहाल, वक्फ बोर्ड, सरकार और आम लोग सभी के लिए ये आदेश एक स्पष्ट दिशा तय करता है, क्या आपको लगता है कोर्ट का फैसला संतुलित है, नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं, वीडियो पसंद आया हो तो लाइक करें, और देश दुनिया के ऐसे ही बडे फैसलों के लिए चैनल को सब्सक्राइब करना मत भूलिए, मिलते हैं अगली वीडियो में।

