बैंक की ट्रेड यूनियन अपने कर्मचारियों के हित के लिए एक बार फिर सामने आये हैं. उनकी ओर से कहा गया है कि भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंधन को सहायक स्टेट बैंक ऑपरेशंस सपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (एसबीओएसएस) की स्थापना पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
ऐसा इसलिए क्योंकि इससे बुनियादी बैंकिंग कार्यों और नौकरियों की आउटसोर्सिंग होगी. इसके परिणामस्वरूप ठेका श्रमिकों की नियुक्ति होगी जो कहीं से भी तार्किक नहीं है।
हमें आशंका है कि एसबीओएसएस के माध्यम से संचालन और नौकरियों की आउटसोर्सिंग के नये रूपों का प्रयास किया जा रहा है. आईबीए (इंडियन बैंक्स एसोसिएशन) और वर्कमैन यूनियनों के बीच समझौता हुआ है।
जिसके तहत आउटसोर्स नहीं किया जा सकता है. इस संबंध में भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कर्मचारी संघ के महासचिव के एस कृष्णा ने बैंक के उप प्रबंध निदेशक (मानव संसाधन) को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि इन मानदंडों को दरकिनार करने के प्रयासों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
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कम मैन पावर और टेक्नोलॉजी पर जोर.
एसबीआई ने 8 अगस्त को एक्सचेंजों को सूचित किया था. इसमें बैंक की ओर से कहा गया था कि उसने बैंक की शाखाओं और ग्रामीण और अर्ध में खुदरा संपत्ति क्रेडिट केंद्रों (आरएसीसी) को सहायता सेवाएं और व्यापार संवाददाता गतिविधियां प्रदान करने के लिए ₹10 करोड़ के पूंजी निवेश के साथ एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक एसबीओएसएस की स्थापना की है।
साथ ही ये भी कहा गया है कि वर्तमान में शाखाओं में किये जाने वाले कई कार्यों और नौकरियों को इस नयी सहायक कंपनी को देने का प्रस्ताव है. इसका उद्देश्य साफ है कि कम मैन पावर और टेक्नोलॉजी के साथ हम आगे बढ़ें।
एस कृष्णा ने कहा कि बैंक के ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग/ लोन डिस्ट्रीब्यूशन जैसे काम बैंक की शाखाओं में स्थायी और जवाबदेह लोगों को दिया जाता है. इस कार्य को वो अच्छी तरह से संपादित करते हैं।
बैंक की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करना मुख्य उद्देश्य है. इन कार्यों के लिए आउटसोर्सिंग नहीं की जा सकती है. यदि ये काम आउटसोर्सिंग के माध्यम से की जाएगी तो इससे खतरा है. चाहे वह जमा हो या लोन की प्रक्रिया, उन्हें ठीक ढंग से और सुरक्षा के साथ संभालने की जरूरत है।