मंगलवार को सीएम धामी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर इस परियोजना के लिए 1774 करोड़ रुपये की मांग की है।
देहरादून में मंत्री के आश्वासन के बाद परियोजना के जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
खास बात यह है कि इस अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना से जहां 6 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा वहीं ग्रेविटी आधारित इस परियोजना से दून की करीब 10 लाख आबादी को 150 एमएलडी पीने का पानी भी नसीब होगा।
दून में लगातार बढ़ रही जनसंख्या के लिए इस प्रोजेक्ट से पर्याप्त पानी की आपूर्ति होगी।
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इसके साथ ही रायपुर और डोईवाला क्षेत्र के हजारों हेक्टेयर खेतों को भी सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
10 लाख लोगों को मिलेगा 24 घंटे पीने:
सौंग डैम परियोजना के निर्माण से देहरादून शहर के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों को गे्रविटी के जरिए 150 एमएलडी पेयजल की आपूर्ति की जा सकेगी।
इस परियोजना से बिजली का कोई खर्चा नहीं आएगा।
इससे ग्रेविटी तकनीक से पानी की आपूर्ति होगी।
दून में 80 फीसदी पेयजल आपूर्ति ट्यूबवेलों से होती है।
इस परियोजना के बनने के बाद शहर की पानी की भावी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
परियोजना से 24 घंटे पानी उपलब्ध होगा।
दून में 275 परिवार होंगे विस्थापित:
दून में रायपुर क्षेत्र के सौंधना गांव के समीप बन रही इस परियेाजना से 147 खातेधारों के करीब 275 परिवार पूरी तरह से इफेक्टेड हो रहे हैं।
जिसमें टिहरी जिले के 4 गांव भी शामिल है।
जिन्हें यहां से पुनवार्सित किया जाएगा।
पुनर्वास पर 274 करोड़ खर्च होने का प्रावधान किया गया है।
पिछले साल नवंबर में सौंग बांध परियोजना निर्माण की दिशा में धामी सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए मंत्रिमंडल की बैठक में इस बहु उद्देश्यीय परियोजना की पुनर्वास एवं पुनर्विस्थापन नीति-2022 को मंजूरी दी है।
अप होगा शहर का अंडर ग्राउंड वाटर:
इस परियोजना से ग्रेविटी से पानी मिलने से दून की आधी आबादी को भरपूर पानी मिलेगा, जिससे ट्यूबवेलों से भूजल का दोहन कम होगा।
बांध में एकत्रित जल से भूमिगत जल स्तर में भी वृद्धि होगी।
परियोजना के निर्माण से भविष्य में दस लाख की आबादी को डेढ़ सौ एमएलडी पीने का पानी मिलेगा।
बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी ने बाह्य सहायतित योजना के अंतर्गत इस परियोजना की सैद्धांतिक स्वीकृति दी है।
6 मेगावाट बिजली का होगा प्रोडक्शन:
पिछले साल केंद्रीय जल आयोग ने इसके डिजाइन को मंजूरी दी थी।
परियोजना से छह मेगावाट तक की बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
देहरादून में सौंधाना गांव के समीप प्रस्तावित यह परियोजना प्रदेश सरकार की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी परियोजना के निर्माण को लेकर खासे सक्रिय हैं।
फंडिंग एजेंसी की तलाशपरियोजना पर करीब 21 सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे।
सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित की जाने वाली इस परियोजना पर राज्य सरकार केवल 20 प्रतिशत अंशदान करेगी।
80 फीसदी बाह्य सहायतित एजेंसी करेगी।
फ्रांस की एजेंसी एजेंसी फ्रांसिस डेवलपमेंट (एएफडी) परियोजना निर्माण के लिए हामी भरी है।
उसके बाद ही इसके साथ ही केंद्र सरकार ने परियोजना के लिए पर्यावरणीय समेत अन्य स्वीकृतियां भी जारी कर दी थी।
ऐसे में अब यदि केंद्र सरकार से बजट की लगातार मांग की जा रही है।
केंद्र सरकार यदि फंडिंग करती है, तो परियोजना पर जल्द काम शुरू हो सकता है।
3.5 किमी लंबा होगा जलाशय:
मूल रूप से सौंग नदी पर बनने वाले इस बांध की ऊंचाई करीब 148 मीटर है और इसकी लंबाई 3:5 किमी है।
परियोजना से 14.70 किमी लंबी पाइपलाइन, जल शोधन संयंत्र और 120 किमी। की लंबी मुख्य डिस्ट्रीब्यूशन लाइन बनाई जाएगी।
सौंग बांध की झील लगभग 76 हेक्टेयर की होगी।
विस्थापन के लिए रायपुर में 10 एकड़ जमीन की भी तलाश की जा चुकी है।
रिस्पना होगी पुनर्जीवितने के पानी के अलावा बिजली निर्माण के बाद इस बांध के अतिरिक्त पानी को देहरादून में रिस्पना नदी में छोड़े जाने का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है।
दम तोड़ रही रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रदेश सरकार कई परियोजनाओं पर काम कर रही है।
सीएम ने वित्त मंत्री से मांगी 1774 करोड़ की सहायता:
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को केंद्रीय वित्तीय मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर उनसे सौंग डैम निर्माण को लेकर चर्चा की।
इस दौरान उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से इस महत्वकांक्षी परियोजना के लिए 1774 करोड़ रुपये के विशेष सहायता देने की मांग की है।
उन्होंने बताया कि परियोजना पर करीब 2021 करोड़ खर्च होंगे।
इससे बिजली के साथ ही दून की बड़ी आबादी को पीने के लिए पानी की आपूर्ति होगी।
कहा कि दून में लगातार भूजल स्तर गिर रहा है, जबकि लगातार आबादी बढ़ती जा रही है, जिसे भविष्य में परियोजना से पानी की पर्याप्त आपूर्ति होगी।
सीएम ने कहा कि इससे ट्यबवेलों से निर्भता लगभग खत्म हो जाएगी।
सौंग डैम के सभी पर्यावरणीय क्लियरेंस की फार्मालिटीज पूरी हो चुकी है।
विस्थापन के लिए रायपुर क्षेत्र में 10 एकड़ जमीन तलाशी गई है।
राज्य सरकार बजट को लेकर लगातार प्रयासरत है।
फंडिंग एजेंसी मिलते ही डैम का कंस्ट्रक्शन शुरू किया जाएगा।
निर्माण शुरू होने के चार में परियोजना का काम पूरा हो जाएगा।